
उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित रामलाल वृद्धाश्रम एवं गौशाला ने समाज में बदलते पारिवारिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए एक अनोखी और भावुक पहल शुरू की है. सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश मंदिर के पास स्थित यह वृद्धाश्रम अब उन बच्चों और युवाओं को अवसर देगा, जो अपने जीवन में नाना-नानी या दादा-दादी का प्यार और दुलार महसूस करना चाहते हैं.
कैसे मिलेगा दादा-दादी और नाना-नानी का साथ
इस पहल के तहत कोई भी परिवार या समाजसेवी आश्रम से बुजुर्गों को "नाना-नानी" या "दादा-दादी" के रूप में किराए पर अपना सकता है. इसके लिए आश्रम में पंजीकरण कराना होगा. साथ ही 10,000 रुपये की सिक्योरिटी राशि जमा करनी होगी. इसके बाद मासिक 1,100 रुपये का शुल्क लिया जाएगा, जिसमें से आधा हिस्सा बुजुर्ग को और आधा हिस्सा आश्रम की सेवा में खर्च किया जाएगा.
वृद्धाश्रम की मौजूदा स्थिति
रामलाल वृद्धाश्रम में इस समय 380 से ज्यादा बुजुर्ग माता-पिता और 650 से ज्यादा गौवंश की सेवा की जा रही है. संस्था का कहना है कि संयुक्त परिवार की कमी के कारण आज कई बच्चे और युवा दादी-नानी की कहानियों, दुलार और स्नेह से वंचित रह जाते हैं. इस योजना के जरिए अब वे इस प्यार को महसूस कर सकेंगे.
संस्था का उद्देश्य
रामलाल वृद्धाश्रम के मीडिया प्रभारी देवेंद्र सिंह ने बताया, "हमारे ट्रस्ट मेंबरों ने यह तय किया है कि जिन बच्चों को दादा-दादी और नाना-नानी का प्यार नहीं मिला, उन्हें यह स्नेह दिया जाएगा. कोई भी समाजसेवी या परिवार आश्रम से बुजुर्गों को एक महीने के किराए पर घर ले जा सकता है."
वहीं, आश्रम के मैनेजर मुकेश सारस्वत ने कहा, "योजना के तहत 11,000 रुपये में बुजुर्ग को एक महीने के लिए घर ले जाया जा सकता है. इसमें 5,000 रुपये वृद्ध को और 6,000 रुपये आश्रम की सेवा में लगाया जाएगा."
दोनों को मिलेगा फायदा
इस अनोखी पहल से दोनों पक्षों को लाभ होगा. जहां बच्चों और युवाओं को बुजुर्गों के स्नेह, अनुभव और आशीर्वाद का साथ मिलेगा, वहीं वृद्धजन भी फिर से परिवारिक माहौल और अपनत्व का अनुभव कर सकेंगे.
(अरविंद शर्मा की रिपोर्ट)
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