
रांची की बेटी साक्षी जैन ने विश्व मंच पर झारखंड का नाम रोशन कर दिया है. मात्र 24 साल की उम्र में, उन्होंने प्रतिष्ठित फोर्ब्स अंडर-30 एशिया 2025 लिस्ट में अपनी जगह बनाकर न सिर्फ अपने शहर, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है. साक्षी को सोशल मीडिया, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग केटेगरी में चुना गया है, जहां वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और प्रभावशाली कंटेंट क्रिएटर के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं.
सपनों से हकीकत तक
साक्षी जैन की कहानी किसी प्रेरक फिल्म से कम नहीं है. 15 मई 2025 की सुबह, जब साक्षी को फोर्ब्स से एक ईमेल मिला, जिसमें उनकी इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होने की खबर थी, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा सपना था, जो मेरे बचपन की आंखों में बसता था. आज यह सच हो गया. मैं अभी भी इसे पूरी तरह समझ नहीं पा रही, लेकिन मैं अपने परिवार और समर्थकों की आभारी हूं." साक्षी का मानना है कि यह सम्मान न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी लोगों की जीत है जो उनके साथ इस सफर में शामिल रहे.
साक्षी ने रांची के नामकुम स्थित बिशप वेस्टकोट गर्ल्स स्कूल से दसवीं और डीपीएस से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद, 2021 में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से बी.कॉम की डिग्री हासिल की. चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के बाद, उन्होंने बेंगलुरु में एक फर्म में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में काम शुरू किया. लेकिन केवल तीन महीने बाद, अक्टूबर 2023 में, उन्होंने अपने जुनून को चुना और सोशल मीडिया पर फाइनेंशियल लिटरेसी (वित्तीय साक्षरता) के लिए कंटेंट बनाना शुरू किया.
सोशल मीडिया पर साक्षी का जादू
साक्षी ने इंस्टाग्राम पर 17 लाख, यूट्यूब पर 6.9 लाख और लिंक्डइन पर 1.5 लाख फॉलोअर्स की विशाल संख्या हासिल की है. उनके वीडियो में निवेश, टैक्स बचत, SIP, और पर्सनल फाइनेंस जैसे जटिल विषयों को इतनी आसानी से समझाया जाता है कि आम लोग भी इन्हें समझ सकते हैं. साक्षी का कहना है, "ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में वित्तीय अवसरों से चूक जाते हैं. मैं इसे बदलना चाहती थी." उनकी कई वीडियो वायरल हो चुकी हैं, जिन्हें लाखों लोग देख चुके हैं. साक्षी का यह अनोखा अंदाज, जिसमें वह जेन-जेड के लिए फाइनेंस को मजेदार और सरल बनाती हैं, उन्हें इस मुकाम तक लेकर आया है.
परिवार का साथ, सपनों का आधार
साक्षी अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार को देती हैं. उनके पिता, पंकज जैन, रांची में एक टायर व्यवसाय चलाते हैं, जबकि उनकी मां, आंचल जैन, गृहिणी हैं. साक्षी के दादाजी, सुरेश कुमार जैन, एक प्रोफेसर रहे हैं और उनकी प्रेरणा साक्षी के लिए महत्वपूर्ण रही है. उनकी मां आंचल कहती हैं, "बेटियां बेटों से कम नहीं होतीं. साक्षी ने हमें गर्व से सिर ऊंचा करने का मौका दिया है." वहीं, पिता पंकज जैन ने कहा, "मेरी दोनों बेटियों ने हमें गौरवान्वित किया है. साक्षी की यह उपलब्धि हम सभी के लिए खास है."
साक्षी न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे एशिया में युवाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं. इस सूची में इस श्रेणी से केवल दो भारतीयों को जगह मिली है, और साक्षी उनमें से एक हैं. वह कहती हैं, "यह मेरी मंजिल नहीं, बल्कि शुरुआत है. मैं और लोगों तक पहुंचना चाहती हूं और उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त करना चाहती हूं." साक्षी का मानना है कि फोर्ब्स की यह मान्यता उनके कंटेंट पर लोगों का भरोसा बढ़ाएगी.
वे आगे कहती हैं, "सपने बड़े देखें, लेकिन छोटे कदमों से शुरू करें. निरंतरता ही सफलता की कुंजी है."
(आकाश कुमार की रिपोर्ट)