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राशन पर भूत का शासन! जिंदा इंसान राशन के लिए भटक रहा और भूत बीते आठ साल से चट कर रहा है राशन

मध्यप्रदेश में जिंदा व्यक्ति राशन के लिए भटक रहा है और भूत पिछले आठ साल से राशन उठा रहा है. मध्य प्रदेश के सतना जिले के टिकुरी अकौना गांव में राशन पर भूत का शासन है. जीहां आठ साल पहले मर चुके बलवंत सिंह आज भी बकायदा पीडीएस मशीन में अंगूठा लगाकर राशन उठा रहे हैं. बलवंत की आठ साल पहले हादसे में मौत हो गई थी, बावजूद राशन कार्ड में वो आज भी अमर हैं.

Deceased Man Receiving Rations for 8 Years Deceased Man Receiving Rations for 8 Years
हाइलाइट्स
  • जिंदा व्यक्ति राशन के लिए भटक रहा

  • पंचायत स्तर से हटाया जाता है नाम

मध्यप्रदेश में जिंदा व्यक्ति राशन के लिए भटक रहा है और भूत पिछले आठ साल से राशन उठा रहा है. मध्य प्रदेश के सतना जिले के टिकुरी अकौना गांव में राशन पर भूत का शासन है. जीहां आठ साल पहले मर चुके बलवंत सिंह आज भी बकायदा पीडीएस मशीन में अंगूठा लगाकर राशन उठा रहे हैं. बलवंत की आठ साल पहले हादसे में मौत हो गई थी, बावजूद राशन कार्ड में वो आज भी अमर हैं.

भूत के नाम पर राशन! विभाग में मचा हड़कंप
वहीं इस गांव का एक और कारनामा है, जहां शंकर आदिवासी को साल 2017 में मृत घोषित कर दिया गया था जैसे तैसे उसने खुद को जिंदा साबित किया लेकिन सरकारी सुविधाओं से वह आज भी महरूम है और राशन के लिए वो आज भी भटक रहा है. मामला तब चर्चा में आया जब सरपंच जिंदा व्यक्ति को राशन के दिलाए जाने की कवायद कर रहा था जिसमें मृत व्यक्ति को आठ साल से मृत व्यक्ति को राशन मिलना पाया गया. इसके बाद गांव की महिला सरपंच श्रद्धा सिंह ने सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की. फिर क्या मृत व्यक्ति के राशन लेने का मामला सुर्खियों में आ गया जिसके बाद फूड विभाग ने आनन फानन मृतक के नाम विलोपन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

भारत सरकार की मंशा है कि हर गरीब को पर्याप्त राशन मिले लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. अकौना गांव के हालात बता रहे हैं कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टचार की काली छाया है, जहां जिंदा इंसान राशन के लिए भटक रहा है जबकि भूतों को पर्याप्त राशन मिल रहा है. सेवा सहकारी समिति कोटर के सेल्स मैन शिव कुमार गौतम की सुनें जो बीते कई वर्षों से यहां पदस्थ हैं लेकिन इस अजीबो गरीब वाक्या से अंजान हैं.

जिंदा व्यक्ति राशन के लिए भटक रहा
आखिर कौन है जो भ्रष्टचार की काली छाया बनकर राशन पर शासन कर रहा है. भारत सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा और उससे ऊपर वालों को अनाज के भंडार खोल रखे हैं. गरीबी रेखा वालो को हर महीने 35 किलो राशन तो गरीबी रेखा से ऊपर वालो को 15 किलो राशन की सुविधा है. लेकिन अकौना जैसे हालात सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दक्षता पर चिंता जाहिर कर रही है. जहां जिंदा को राशन भले न मिले लेकिन भूतों को राशन जरूर मिल रहा है.

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मृतक को मिल रहा 8 साल से राशन
फूड इंस्पेक्टर ने बताया कि जिस व्यक्ति के नाम पर राशन मिल रहा था, उसका नाम बलवंत सिंह है, जिनकी अब मृत्यु हो चुकी है. हालांकि उनका नाम समग्र पोर्टल से हटा दिया गया था और पंचायत सचिव व रोजगार सहायक को इसकी जानकारी थी, लेकिन राशन वितरण पोर्टल से उनका नाम हटाया नहीं गया था. इसी वजह से उनके परिवार के सदस्य धर्मेंद्र सिंह और प्रदीप सिंह उनके नाम पर अंगूठा लगाकर राशन लेते रहे.

पंचायत स्तर से हटाया जाता है नाम
अब जब यह मामला सामने आया है तो पंचायत के रोजगार सहायक से संपर्क कर पोर्टल से नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. वर्तमान में राशन पोर्टल पर परिवार के कुल 8 सदस्य दर्ज हैं और उन सभी के नाम पर राशन लिया जा रहा है. एक दूसरा मामला भी सामने आया है, जहां संकर आदिवासी नामक व्यक्ति जिंदा हैं, लेकिन उन्हें राशन नहीं मिल रहा. जांच में पता चला कि पात्र और अपात्र लोगों की सूची पंचायत स्तर से बनाई जाती है. अगर कोई मृतक है तो उसका नाम भी वहीं से हटाया जाता है.

फूड इंस्पेक्टर ने बताया कि पंचायत सचिव को “राशन मित्र” पोर्टल की लॉगिन आईडी दी गई है, जिससे वे पात्रता की जांच कर लोगों के नाम जोड़ या हटाने की कार्रवाई कर सकते हैं. संकर आदिवासी का नाम भी अब जोड़ा जा रहा है, और जैसे ही पोर्टल अपडेट होगा, उन्हें राशन मिलने लगेगा.

-वेंकटेश द्विवेदी की रिपोर्ट