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बिहार का अनोखा गांव...जहां सदियों से लोग नहीं पीते शराब, गांव के रिश्तेदार को भी मनाही

ग्रामीणों की मानें, तो गांव में कोई रिश्तेदार भी शराब पी कर गांव में एंट्री नहीं ले सकता. यहां कोई पुलिस या कानून की कार्रवाई नहीं, बल्कि कुलदेवता का कानून चलता है. उनके डर से लोग शराब को हाथ नहीं लगाते. जो शराब पीता है, उसे भारी नुकसान उठना पड़ता है.

इस गांव में सदियों से लोग नहीं पीते शराब, गांव के रिश्तेदार को भी मनाही इस गांव में सदियों से लोग नहीं पीते शराब, गांव के रिश्तेदार को भी मनाही
हाइलाइट्स
  • सात सौ साल से शराब का इतिहास नहीं

  • कुलदेवता को पसंद नहीं शराब

  • गांव में लागू है तीन सूत्र

बिहार के जमुई में एक अनोखा गांव बसता है. इस गांव के बारे में जानकर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार काफी खुश हो जाएंगे. जमुई जिले से 20 किलोमीटर दूर गिद्धौर प्रखंड में स्थित गंगरा गांव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों का गांव बन सकता है. क्योंकि यहां एक अप्रैल 2016 से नहीं बल्कि सदियों से शराबबंदी लागू है. गांव के लोगों की बात कौन करे, गांव से जुड़े सभी रिश्तेदार और गांव के लोग सदियों से कुलदेवता के डर से शराब को हाथ नहीं लगाते. बिहार ही नहीं देश का एकमात्र गांव गंगरा है, जो शराब से पूरी तरह दूर है.

सात सौ साल से शराब का इतिहास नहीं
ग्रामीणों की मानें, तो गांव में कोई रिश्तेदार भी शराब पी कर गांव में एंट्री नहीं ले सकता. यहां कोई पुलिस या कानून की कार्रवाई नहीं, बल्कि कुलदेवता का कानून चलता है. उनके डर से लोग शराब को हाथ नहीं लगाते. जो शराब पीता है, उसे भारी नुकसान उठना पड़ता है. गांव के लोगों का दावा है कि कोई भी शख्स अगर शराब को छू भर लेता है, तो उससे कुलदेवता नाराज हो जाते हैं और उसके परिवार को नुकसान उठाना पड़ता है.

कुलदेवता को पसंद नहीं शराब
गंगरा गांव के सेवानिवृत शिक्षक लखन लाल पांडेय और रामजी सिंह बताते हैं कि यहां के लोग अपने कुलदेवता कोकिलचंद से काफी डरते हैं. कुलदेवता को शराब बिल्कुल पसंद नहीं है. सदियों से इस गांव में किसी पार्टी और फंक्शन में भी शराब नहीं पी जाती है. यदि कोई रिश्तेदार शराब पी लेता है, तो उसे गांव में आने की मनाही होती है. यदि कोई भूल से पीकर आ भी गया, तो उसे गांव के बाहर रूकना पड़ता है. गांव के लोग दावा करते हैं कि लगभग 7 सौ साल पहले से जब गांव के कुलदेवता गांव में आकर बसे तब से लोगों ने शराब का सेवन नहीं किया. चार हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग दुनिया के किसी कोने में रहें, शराब को हाथ नहीं लगाते हैं.

गांव में लागू है तीन सूत्र
गांव के ग्रामीण विष्णु पांडेय और अरविंद कुमार बताते हैं कि गांव के कुछ लोगों ने पहले शराब पीने की चेष्टा की थी उसके बाद कुलदेवता नाराज हो गए. उनके परिवार में परेशानी बढ़ गई. सबकुछ उल्टा होने लगा उसके बाद उनलोगों ने भी शराब नहीं पीने की कसम खाई. ग्रामीणों को इस बात का गर्व है कि ये गांव पूरे बिहार के लिए रोल मॉडल है. गांव के लोगों का कहना है कि एक तरफ लोग शराब का सेवन कर जेल जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनका गांव इन सब बातों से अछूता है. गांव में तीन परंपरा चलाई जाती है. पहली मवेशी का दूध नहीं बेचना, नारी सम्मान की रक्षा करना और शराब से दूर रहना. कुलदेवता के ये तीनों सूत्र गांव के लोग मानते हैं.

गांव को किया जाएगा सम्मानित
गांव के बारे में डीएम अवनीश कुमार सिंह कहते हैं कि ये बहुत बड़ी बात है कि गांव के लोग शराब सेवन नहीं करते और कुलदेवता की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं. डीएम ने कहा कि निश्चित तौर पर बिहार सरकार के शराबबंदी कानून को ये गांव बल दे रहा है. डीएम ने बताया कि शराबबंदी कानून को लेकर इस गांव के लोग आदर्श हैं, इन्हें जल्द ही सम्मानित किया जाएगा.