
डॉक्टरों को अक्सर भगवान का रूप कहा जाता है, क्योंकि वे न सिर्फ़ लोगों की जान बचाते हैं बल्कि उन्हें नया जीवन भी देते हैं. मोहाली के लालड़ गांव में रहने वाले 63 वर्षीय डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी इस कहावत को सच साबित कर रहे हैं. सरकारी नौकरी से 2019 में रिटायर होने के बाद जब अधिकांश लोग आरामदायक जीवन चुनते हैं, तब डॉ. मुल्तानी ने अपना जीवन सेवा को समर्पित कर दिया. उन्होंने अपने घर में ही एक क्लीनिक खोला और मरीजों का मुफ्त इलाज शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उन्होंने न सिर्फ़ जांच बल्कि माइनर सर्जरी भी पूरी तरह निशुल्क करनी शुरू कर दी.
डॉ. मुल्तानी रोज़ाना मंगलवार को छोड़कर सभी दिन अपने क्लीनिक में मरीज देखते हैं, जबकि शनिवार को वे ‘प्रभ आसरा’ जाकर ज़रूरतमंदों की सेवा करते हैं. उनकी मान्यता है कि मानवता की सबसे बड़ी सेवा है बिना किसी स्वार्थ के दूसरों का दुख दूर करना. यही सोच उन्हें आज भी सक्रिय रखे हुए है.
चैरिटेबल ट्रस्ट से शिक्षा और खेलों को भी समर्थन
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुतबाकि, सेवा की यह अलख उनके मन में बहुत पहले जगी थी. 2004 में उन्होंने शेल्टर चैरिटेबल ट्रस्ट की नींव रखी, जो आज तीन क्षेत्रों-हेल्थ, एजुकेशन और स्पोर्ट्स पर काम कर रहा है. हेल्थ कैंप्स के जरिए न सिर्फ़ इलाज होता है बल्कि लोगों को बीमारियों से बचाव की जानकारी भी दी जाती है.
एजुकेशन के क्षेत्र में ट्रस्ट ने अब तक 150 स्कूलों को गैस चूल्हे उपलब्ध करवाए, ताकि बच्चों के लिए मिड डे मील बनाने में लकड़ी का इस्तेमाल बंद हो और धुआं कम फैले. इसके अलावा स्कूलों को पंखे, वॉटर कूलर और मिक्सर-ग्राइंडर जैसी सुविधाएं भी दी गईं.
स्पोर्ट्स में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है. ट्रस्ट खेल के मैदानों की मरम्मत और खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर काम कर रहा है. डॉ. मुल्तानी का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद उनके पास समय है, और अगर यह समय दूसरों की भलाई में लग जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है.
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