
बिहार के नवादा जिले से एक ऐसा साइबर स्कैम सामने आया है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे! ‘ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब सर्विस’ के नाम पर एक गिरोह नि:संतान महिलाओं को गर्भवती करने का झूठा लालच देकर भोले-भाले लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर रहा था. इस सनसनीखेज मामले में नवादा साइबर पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को धर दबोचा है. लेकिन, इस कहानी में ट्विस्ट तब आया जब पुलिस को पता चला कि गिरफ्तार आरोपियों में एक सेना के जवान का बेटा भी शामिल है!
5 लाख की कमाई का झांसा और साइबर ठगी का जाल
‘नि:संतान महिलाओं को गर्भवती करो और 5 लाख रुपये कमाओ’- यह था इस गिरोह का लुभावना ऑफर, जो सोशल मीडिया पर वायरल विज्ञापनों के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाता था. इस स्कैम का मास्टरमाइंड गिरोह ‘ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब सर्विस’ नामक एक फर्जी कंपनी चला रहा था. इस कंपनी के तहत लोगों को यह झांसा दिया जाता था कि अगर वे नि:संतान महिलाओं को गर्भवती करने में सफल होते हैं, तो उन्हें 5 लाख रुपये का इनाम मिलेगा.
इतना ही नहीं, अगर किसी कारणवश गर्भधारण नहीं हुआ, तब भी 50 हजार रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया जाता था. लेकिन यह सब एक सुनियोजित ठगी का जाल था, जिसमें लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठे.
सोशल मीडिया बना ठगी का हथियार
इस गिरोह का मॉडस ऑपरेंडी बेहद शातिराना था. साइबर ठग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक विज्ञापन डालकर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. विज्ञापनों में लुभावने ऑफर और बड़ी रकम का वादा कर लोगों का ध्यान खींचा जाता था. जब कोई व्यक्ति इन विज्ञापनों के झांसे में आकर संपर्क करता, तो उससे रजिस्ट्रेशन के नाम पर आधार कार्ड, पैन कार्ड और सेल्फी जैसी निजी जानकारी मांगी जाती थी. इसके बाद, पंजीकरण शुल्क, होटल बुकिंग और अन्य फर्जी खर्चों के नाम पर हजारों रुपये की उगाही की जाती थी. कई बार तो ठग पीड़ितों को बदनाम करने की धमकी देकर और पैसे ऐंठते थे.
पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी, चार आरोपी गिरफ्तार
नवादा साइबर पुलिस को गृह मंत्रालय के प्रतिबिंब पोर्टल पर उपलब्ध मोबाइल नंबरों की ट्रैकिंग के आधार पर इस स्कैम की भनक लगी. इसके बाद, साइबर थाना प्रभारी और सीनियर डीएसपी प्रिया ज्योति के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने रोह थाना क्षेत्र के कुंज गांव के बघार में छापेमारी की. इस कार्रवाई में चार साइबर अपराधियों को रंगे हाथों पकड़ा गया, जबकि कुछ आरोपी पुलिस की भनक लगते ही मौके से फरार हो गए.
गिरफ्तार आरोपियों में 26 वर्षीय राजेश कुमार, जो रोह थाना क्षेत्र के कुंज गांव के निवासी संजय सिंह का बेटा है, शामिल है. हैरानी की बात यह है कि राजेश एक सेना के जवान का बेटा बताया जा रहा है. इसके अलावा, तीन अन्य आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें निरुद्ध कर लिया गया है. पुलिस ने इनके कब्जे से चार एंड्रॉयड मोबाइल और एक की-पैड मोबाइल बरामद किया है. इन मोबाइल्स में ठगी से जुड़े कई सबूत मिले हैं, जिनमें एक वीडियो भी शामिल है, जिसमें एक लड़की के जरिए विज्ञापन देकर लोगों को लुभाया जा रहा था.
मोबाइल से मिले चौंकाने वाले सबूत
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन्स की गहन जांच शुरू कर दी है. इन फोन्स से व्हाट्सएप चैट, ऑडियो, वीडियो और लेन-देन के रिकॉर्ड जैसे कई महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद हुए हैं. ये साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह गिरोह लंबे समय से ठगी के इस धंधे में लिप्त था. साइबर पुलिस अब इन साक्ष्यों के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है.
पुलिस की सख्त कार्रवाई, केस दर्ज
इस मामले में नवादा साइबर थाने में कांड संख्या-85/25 दर्ज किया गया है. आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू की गई है. साइबर थाना की सीनियर डीएसपी प्रिया ज्योति ने बताया कि यह गिरोह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को निशाना बनाता था और रजिस्ट्रेशन के नाम पर 5 हजार से 20 हजार रुपये तक की ठगी करता था. पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ने के लिए अन्य राज्यों में भी छापेमारी की योजना बना रही है.
क्या है इस स्कैम का असली मकसद?
यह स्कैम न केवल लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करता था, बल्कि उनकी आर्थिक और निजी सुरक्षा को भी खतरे में डालता था. नि:संतानता जैसी संवेदनशील समस्या का इस्तेमाल कर यह गिरोह लोगों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करता था. इस मामले ने एक बार फिर साइबर ठगी के बढ़ते खतरे को उजागर किया है. नवादा पुलिस की इस कार्रवाई ने भले ही इस गिरोह का पर्दाफाश कर दिया हो, लेकिन यह सवाल उठता है कि आखिर कितने लोग अब तक इस जाल में फंस चुके हैं?
इस मामले ने एक बार फिर लोगों को साइबर ठगी के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी है. पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं और अपनी निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें. अगर कोई साइबर ठगी का शिकार होता है, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या स्थानीय साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं.
(सुमित भगत की रिपोर्ट)