
सिक्किम के युक्सोम शहर में जन्मे नवांग ग्यात्सो भूटिया को बचपन से ही तितलियों से लगाव था. वे अपने बगीचे में उड़ती तितलियों को घंटों देखते रहते थे. उन्हें यह रंग-बिरंगे जीव बहुत सुंदर और दिलचस्प लगते थे. साल 2010 में नवांग ने तितलियों के संरक्षण के लिए काम शुरू किया. लेकिन उस समय तितलियों पर बहुत कम जानकारी और संसाधन उपलब्ध थे, जिससे काम करना मुश्किल हो रहा था.
NGO की स्थापना और टीम वर्क की शुरुआत
कुछ समय बाद नवांग की मुलाकात कुछ और तितली प्रेमियों से हुई. उन्होंने 2011 में एक NGO बनाया- "Butterflies and Moths of Sikkim and Nature Conservation Society." इस संस्था का मकसद था तितलियों की रक्षा करना और लोगों को जागरूक बनाना.
बने Butterfly Man
2015 में इस NGO ने युक्सोम में पहली ‘बटरफ्लाई मीट ऑफ सिक्किम’ का आयोजन किया. इसमें देशभर से 90 लोग शामिल हुए, जिनमें स्कूल के बच्चे भी थे. इस कार्यक्रम के ज़रिए लोगों को तितलियों के जीवन और उनकी सुरक्षा के बारे में बताया गया.
लोग अब नवांग को “सिक्किम का बटरफ्लाई मैन” कहते हैं. वे बच्चों को तितलियों के बारे में पढ़ाते हैं और उन्हें सिखाते हैं कि इन जीवों को कैसे बचाया जाए.
स्थानीय युवाओं को मिला रोजगार का मौका
NGO ने अब तक करीब 200 युवाओं को तितली गाइड बनने की ट्रेनिंग दी है. इनमें से 50 लोग अब पर्यटकों को तितलियों की जानकारी देकर रोज़गार कमा रहे हैं. ये गाइड्स हर दिन 1,000 से 1,500 रुपये तक कमाते हैं.
NGO के सदस्य गांवों में जाकर लोगों को तितलियों की अहमियत समझाते हैं. वे स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में लेक्चर भी देते हैं. वे वन विभाग और पर्यटन विभाग के साथ भी मिलकर काम करते हैं.
सिक्किम में मिलती हैं दुर्लभ प्रजातियां
भारत में करीब 1,500 तितली प्रजातियां हैं, जिनमें से 720 प्रजातियां सिर्फ सिक्किम में मिलती हैं. नवांग और उनकी टीम ने अब तक 6-7 प्रजातियों की दोबारा खोज भी की है, जो पहले लुप्त मानी जाती थीं.
नवांग बताते हैं कि पेड़ काटना तितलियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. जब भी उन्हें ऐसी कोई सूचना मिलती है, तो वे तुरंत वन विभाग को बताते हैं, जो तुरंत कार्रवाई करता है.
फायदा पहुंचा रहा तितली पर्यटन
अब सिक्किम में तितली पर्यटन (Butterfly Tourism) भी लोकप्रिय हो रहा है. इससे गांव के युवाओं और होमस्टे मालिकों को रोज़गार मिल रहा है. यह एक ऐसा उदाहरण है जहां प्रकृति की रक्षा और रोज़गार एक साथ हो रहे हैं.
नवांग कहते हैं, “तितलियां सिर्फ सुंदर नहीं होतीं, वे हमें पर्यावरण की सेहत के बारे में भी जानकारी देती हैं. अगर तितलियां कम हों, तो समझिए कुछ गड़बड़ है.”
भविष्य की योजना: तितली गार्डन और किताबें
भूटिया चाहते हैं कि स्कूलों और पर्यटन स्थलों पर तितली-अनुकूल बाग़-बग़ीचे बनाए जाएं. बच्चों और ग्रामीणों के लिए शैक्षणिक सामग्री प्रकाशित हो. तितली पर्यटन को और बढ़ावा मिले. उनका नाम तितलियों पर किए गए कार्यों के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है.
-----------End----------