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Surat Sessions Court: सहमति से यौन संबंध के बाद शादी से इनकार रेप नहीं, कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

गुजरात के सूरत सेशन्स कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सहमति से यौन संबंध के बाद शादी से इनकार करने को रेप नहीं माना है. कोर्ट ने आरोपी युवक को बरी कर दिया. युवक पर एक युवती ने शादी का झांसा देकर कई बार शारीरिक संबंध बनाने की शिकायत की थी.

Court (Photo/Meta AI) Court (Photo/Meta AI)

गुजरात के सूरत में तीन साल पहले के बलात्कार केस में आरोपी युवक को सूरत सेशन्स कोर्ट ने बरी करके रिहाई का आदेश दिया है. कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील 'तीन साल तक सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार नहीं है' मान्य रखते हुए यह आदेश सुनाया.

साल 2022 में सामने आया था मामला-
सूरत के डींडोली में रहने वाली बीबीए की पढ़ाई कर रही एक युवती ने जुलाई 2022 में कतारगाम में रहकर एमटेक की पढ़ाई कर रहे युवक के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार इंस्टाग्राम के जरिए दोस्ती होने के बाद आरोपी ने शादी का झांसा देकर युवती के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी करने से इनकार कर दिया.
 
क्या थी बचाव पक्ष की दलील?
उस मामले में पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया था और अदालत में चार्जशीट भी की थी. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अश्विन जे. जोगड़िया ने दलील करते हुए कहा था कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की. प्रेम संबंध टूटने के कारण मौजूदा झूठी शिकायत दर्ज कराई गई. साथ ही उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि अगर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध स्थापित करने का आरोप है तो वह बलात्कार नहीं है. इस तर्क को स्वीकार करते हुए सेशन्स कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया.

शिकायतकर्ता शिक्षित, भला-बुरा समझ सकता है- वकील
अदालत ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता स्वयं एक शिक्षित व्यक्ति है और अपना भला-बुरा समझ सकता है. चूँकि पीड़िता और आरोपी की जाति अलग-अलग है, इसलिए आरोपी और उसकी माँ ने शादी करने से इनकार कर दिया. हालाँकि, पीड़िता ने आरोपी के साथ अपने रिश्ते को जारी रखा. पीड़िता ने आरोपी के साथ जाते समय होटल और रेस्टोरेंट में बिना किसी दबाव के अपने पहचान पत्र दिए थे. इसलिए उसके साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं हुई. शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि युवक के साथ संबंध के कारण वह गर्भवती हो गई, लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान गर्भपात का साक्ष्य रिकार्ड में आया. 

डॉक्टर ने गवाही में क्या कहा?
एडवोकेट जोगड़िया ने बताया कि अन्य मेडिकल सबूतों के अलावा, डीएनए रिपोर्ट भी पीड़िता और आरोपी के नमूनों से मेल नहीं खाती. इसके अलावा, जांच करने वाले डॉक्टर की गवाही में दर्ज है कि पीड़िता ने मेडिकल जाँच के दौरान 30 से 35 बार शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी. जिससे बचाव पक्ष को शक हुआ कि पीड़िता को निम्फोमेनिया की बीमारी है. पीड़िता का मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टर ने जिरह के दौरान बचाव पक्ष द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि महिलाओं में अक्सर पुरुषों की तुलना में सेक्स की इच्छा ज़्यादा होती है. इसे एक तरह की मानसिक बीमारी माना जाता है.

(ब्रिजेश जोशी की रिपोर्ट)

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