Expensive Coffee
Expensive Coffee दुनिया की सबसे महंगी कॉफी 'कोपी लुवाक' किसी आलीशान प्लांटेशन में नहीं, बल्कि एक छोटे जानवर की आंत से होकर गुजरती है. ये कॉफी एशियन पाम सिवेट नाम के जीव के मल से तैयार होती है. दक्षिण एशिया के जंगलों में पाए जाने वाले इस जीव की खासियत है कि ये कॉफी चेरी खाता है और फिर उसके बीज यानी कॉफी बीन मल के जरिए बाहर निकाल देता है. इन्हीं बीन्स को साफ करके और सुखाकर दुनिया की सबसे महंगी कॉफी बनाई जाती है. एक किलो ‘कोपी लुवाक’ की कीमत करीब 80 हजार रुपए तक होती है.
केरल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया केमिकल एनालिसिस
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल के वैज्ञानिकों ने अब यह पता लगाया है कि आखिर इस कॉफी में ऐसा क्या है जो इसे बाकी कॉफियों से अलग बनाता है. जूलॉजिस्ट डॉ. पलट्टी अलेश सिनु की टीम ने भारत के पांच रोबस्टा कॉफी एस्टेट्स से कॉफी बेरीज इकट्ठी कीं. कुछ सीधे पौधे से और कुछ उन बीन्स से जो जंगली सिवेट के मल में मिले. शोध में पाया गया कि सिवेट द्वारा पचाई गई बीन्स आकार में बड़ी और फैट कंटेंट में ज्यादा थीं. यह साबित करता है कि जंगली सिवेट खुद सबसे अच्छी कॉफी चेरी चुनता है.
सिवेट की पाचन प्रक्रिया से आता है फ्लेवर
शोधकर्ताओं ने पाया कि सिवेट वाली कॉफी में कैप्रिलिक एसिड और कैप्रिक एसिड मिथाइल एस्टर ज्यादा मात्रा में मौजूद थे. ये दोनों कंपाउंड कॉफी के फ्लेवर और उसकी दूधिया खुशबू को बढ़ाते हैं. हालांकि, प्रोटीन और कैफीन लेवल दोनों प्रकार की कॉफी में लगभग समान पाए गए. सिवेट के पेट में होने वाली नेचुरल फर्मेंटेशन और एंजाइम की क्रिया बीन्स की रासायनिक संरचना को बदल देती है. यही वजह है कि ‘कोपी लुवाक’ का स्वाद बाकी कॉफी से अलग और ज्यादा गाढ़ा होता है.
सिवेट्स को जानबूझकर कॉफी चेरी खिलाई जाती है
कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कई सिवेट्स को पिंजरों में बंद रखकर जबरन सिर्फ कॉफी चेरी खिलाई जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस कॉफी की रासायनिक प्रक्रिया को अच्छी तरह समझ लिया जाए, तो इसी फ्लेवर को बिना जानवरों को नुकसान पहुंचाए दोहराया जा सकता है.