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Viral Video: रमजान में कन्हैया पर कव्वाली गा रही महिला का वीडियो वायरल, ये सूफी संत हुए हैं कृष्ण भक्ति में सराबोर

भारत में बहुत से ऐसे सूफी संत हुए हैं जिन्होंने कान्हा जी पर लिखा है और इनकी लिखी शायरी या कविताएं लोंगों के बीच खासी मशहूर हैं.

Lord Krishna Lord Krishna
हाइलाइट्स
  • नवाब सादिक जंग बहादुर हिल्म ने लिखा कलमा

  • वीडियो में महिला ने गाई कव्वाली

कहते हैं कि संगीत में इतनी ताकत है कि हर हद से परे है. यह भाषा, रंग, धर्म, संस्कृति और लोगों के बीच के भेदभाव को मिटाता है. संगीत एक पल में लोगों को एकजुट करने की ताकत रखता है. जैसा कि हाल ही में देखने को मिला. 

दरअसल, ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें एक महिला को भगवान कृष्ण पर बहुत ही सुंदर कव्वाली गाते हुए सुना जा सकता है. यह वीडियो लगातार लोगों का दिल जीत रहा है.

नवाब सादिक जंग बहादुर हिल्म ने लिखा है कलमा 
इस वायरल वीडियो को ट्विटर यूजर वजीहा अतहर नकवी ने साझा किया है. उन्होंने कैप्शन में लिखा है कि रमजान की पूर्व संध्या पर उन्हें 19वीं सदी के नवाब सादिक जंग बहादुर हिल्म के प्रसिद्ध कलमा 'कन्हैया' के मूल दीवान को देखने और गाने का मौका मिला. इस कलाम को भगवान कृष्ण को समर्पित किया गया है. 

उनके इस वीडियो को बहुत से लोग लाइक और शेयर कर रहे हैं. बहुत से लोगों ने कमेंट करके उनकी सराहना भी की है. कईयों ने उनकी आवाज को सराहा तो बहुत से लोगों को यह अच्छा लगा कि एक मुस्लिम ने कृष्ण को लिखा. हालांकि, सदियों से ऐसा ही हो रहा है जब संगीत ने धर्म, जात-पात जैसे हर बंधन को तोड़ा है.

आज हम आपको बता रहे हैं उन मुस्लिम सूफी संतों के बारे में जिन्होंने अपने लेखन में कृष्ण को जगह दी है. 

1. रसखान 
रसखान (जन्म 1548 ई.) एक ऐसे कवि थे, जो मुस्लिम और भगवान कृष्ण के अनुयायी (भक्त) दोनों थे. उनका जन्म का नाम सैय्यद इब्राहिम था. बताया जाता है कि वह अमरोहा में रहने वाले थे. रसखान, हिंदी में उनका उपनाम था. बताते हैं कि वह भगवान कृष्ण के अनुयायी बन गए और गोस्वामी विठ्ठलनाथ से दीक्षा ली और वृंदावन में रहने लगे और अपना पूरा जीवन वहीं बिताया. उन्होंने अपने लेखन में श्रीकृष्ण को लिखा है. उन्होंने पूरा जीवन कृष्ण को समर्पित किया. 

2. अमीर खुसरो
अमीर खुसरो को अबुल हसन यमन उद-दीन खुसरो के नाम से भी जाना जाता है. खुसरो एक भारतीय सूफी गायक, संगीतकार, कवि और विद्वान थे. उनका जन्म 1253 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1325 में हुई थी. वह एक फकीर थे और दिल्ली, भारत के निजामुद्दीन औलिया उनके आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने मुख्य रूप से फ़ारसी में कविता की रचना की, हालांकि उन्होंने हिंदवी में भी लिखा था, खुसरो को "उर्दू साहित्य के संस्थापक," "भारत की आवाज़," या "भारत का तोता" (तूती-ए-हिंद) के रूप में जाना जाता है. खुसरो को "कव्वाली के संस्थापक" के रूप में श्रेय दिया जाता है. उन्होंने भी अपने लेखन में श्रीकृष्ण को शामिल किया था. दुनियाभर में सशहूर गीत, 'छाप तिलक सब छीनी रे,' भी उन्होंने ही लिखा. 

3. रहीम
अब्दुर रहीम खानखाना को हिंदुस्तान में रहीम के नाम से जाता है जो एक भारतीय कवि और संगीतकार थे. वह हिंदी तुकबंदी के दोहों में माहिर थे. वह मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान उनके शाही दरबार में नौ मंत्रियों के प्रमुख समूह में से एक थे. मुस्लिम घराने में जन्म लेने के बावजूद रहीम की अधिकांश कविता भगवान कृष्ण को समर्पित थी. कृष्ण के पर्ति उनका विश्वास बहुत मजबूत था.

4. दरिया साहिब
बिहार के संत दरिया साहिब का जन्म भारत में ऐसे समय में हुआ था जब मुस्लिम मुगलों की शक्ति कम हो रही थी और अंग्रेजों ने भारत पर पूरी तरह से दावा नहीं किया थ.  यह सामान्य सामाजिक उथल-पुथल और धार्मिक संघर्ष के साथ-साथ कई छोटे शासकों और सरदारों का युग था. संत दरिया एक कवि-संत के रूप में उभरे जिन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव को प्रोत्साहित किया.

उन्होंने 20 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त किया और सभी को अहिंसा और प्रेम का मार्ग सिखाने लगे. ए़़क कवि के रूप में संत दरिया ने 15,000 से अधिक छंदों की रचना की. उन्होंने कृष्ण महिमा का गुणगान किया है.