
रविवार को उत्तर प्रदेश में RO/ARO परीक्षा का आयोजन हुआ. लखनऊ के जानकीपुरम सेक्टर-एफ निवासी मुरारी सिंह अपनी बेटी ऋषिका सिंह को परीक्षा दिलाने के लिए उन्नाव पहुंचे थे. लेकिन परीक्षा केंद्र ढूंढते समय वे भटक गए, और समय बीतता चला गया.
लोकेशन मिलने के बाद फिर आई नई मुश्किल
काफी मशक्कत के बाद उन्हें पता चला कि परीक्षा केंद्र जी.जी.आई.सी.ल. मियागंज रोड, कस्बे से करीब 2 किलोमीटर दूर, शारदा नहर के पास है. परीक्षा सुबह 9:00 बजे शुरू होनी थी। लेकिन जब वे वहां पहुंचने लगे तो रास्ते में एक और रुकावट आ गई- रेलवे क्रॉसिंग बंद थी क्योंकि ट्रेन गुजर रही थी.
पिता-बेटी की दौड़ और उम्मीद की किरण
परीक्षा छूटने के डर से पिता-बेटी ने रेलवे क्रॉसिंग पार कर भागना शुरू कर दिया. इसी बीच, सफीपुर थाने में तैनात कोतवाल सुब्रत त्रिपाठी वहां से गुजर रहे थे. वह परीक्षा केंद्रों पर निगरानी के लिए निकले थे.
सायरन बजाते हुए पहुंचाया परीक्षा केंद्र तक
कोतवाल सुब्रत त्रिपाठी ने जब पिता-बेटी को दौड़ते हुए देखा, तो रुककर पूछा कि क्या हुआ. मुरारी सिंह ने बताया कि उनकी बेटी की परीक्षा छूटने वाली है. यह सुनते ही कोतवाल ने अपनी सरकारी गाड़ी रुकवाई, पिता-पुत्री को उसमें बैठाया और सायरन बजाते हुए उन्हें परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया.
समय रहते पहुंची छात्रा, बची परीक्षा
ऋषिका सिंह समय पर परीक्षा केंद्र पहुंच गई और परीक्षा दे पाई. वहां मौजूद अन्य अभिभावकों ने भी कोतवाल की प्रशंसा की और उनका धन्यवाद किया.
इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. लोग कोतवाल सुब्रत त्रिपाठी और यूपी पुलिस की सराहना कर रहे हैं. यह घटना दिखाती है कि वर्दी के पीछे भी एक संवेदनशील दिल होता है। कोतवाल सुब्रत त्रिपाठी का यह सराहनीय कार्य न केवल एक छात्रा के भविष्य को बचा गया, बल्कि समाज में पुलिस की सकारात्मक छवि को भी मज़बूत किया.
(सूरज सिंह की रिपोर्ट)