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Innovation: गांव की बेटी का कमाल! जापान तक गूंजा धूल रहित थ्रेशर का मॉडल, पेटेंट की तैयारी

पूजा का यह मॉडल Inspire Award MANAK 2023 की राष्ट्र प्रतियोगिता के लिए चुना गया था, जिसमें पूरे भारत से 60 प्रतिभागियों को राष्ट्रीय स्तर पर विजयी घोषित किया गया.

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की 17 वर्षीय पूजा ने धूल रहित थ्रेशर का मॉडल बनाया है, जिसके लिए उन्हें  जापान जाने का मौका मिला. पूजा का यह मॉडल Inspire Award MANAK 2023 की राष्ट्र प्रतियोगिता के लिए चुना गया था, जिसमें पूरे भारत से 60 प्रतिभागियों को राष्ट्रीय स्तर पर विजयी घोषित किया गया. पूजा उत्तर प्रदेश से अकेली विजेता थीं. अब उनके मॉडल को साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा पेटेंट कराया जा रहा है. 

कौन हैं पूजा पाल? 
पूजा बाराबंकी के अमरोहा के पास डलइपुरवा गांव की रहने वाली हैं. पूजा फिलहाल 10वीं कक्षा की छात्रा हैं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं तो मां एक स्कूल में रसोइया है. घर में आर्थिक तंगी रहती है लेकिन पूजा के माता-पिता अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहते हैं. दो साल पहले, आठवीं कक्षा में पढ़ते समय पूजा ने एक धूल रहित थ्रेशर बनाया जिसे नेशनल लेवल पर सम्मानित किया गया. 

क्या होता है थ्रेशर?
आपको बता दें कि थ्रेशर खेती के काम में इस्तेमाल होने वाली मशीन है जिससे गेहूं की मड़ाई की जाती है. गेहूं की फसल की कटाई के बाद, इसी बालियां थ्रेशर में डाली जाती हैं जो इसमें से गेहूं का दाना अलग कर देते हैं और बाकी भूसा अलग हो जाता है. इस काम में काफी ज्यादा मात्रा में धूल उड़ती है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती है. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने पर लोगों को सांस संबंधी बीमारी हो सकती है.  

कैसे मिला पूजा को इनोवेशन का आइडिया? 
पूजा ने बीबीसी को बताया कि जब वह आठवीं कक्षा में थीं, तब उन्होंने अपने स्कूल प्रोजेक्ट के लिए धूल रहित थ्रेसर का मॉडल बनाया. गांव में पूजा ने बचपन से गेहूं की  उन्होंने कहा, "स्कूल में पढ़ते समय पास के खेत में चल रहे ट्रैक्टर से निकलने वाली धूल हमारी तरफ आ रही थी, जिससे हमें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी." इस समस्या को हल करने के लिए पूजा ने अपने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव से सलाह ली और इस मॉडल को बनाने का विचार आया. 

क्या है धूल रहित थ्रेशर में खास?
पूजा के मॉडल में कई इनोवेशन किए गए हैं. उन्होंने अपने मॉडल में एक पानी का टैंक रखा है, जिसमें सारी धूल इकट्ठा हो जाती है. इस मॉडल में एक पंखा और जाली का उपयोग किया गया है, जिससे धूल को पानी के टैंक में इकट्ठा किया जा सकता है. पूजा ने इसे बनाने के लिए लकड़ी और पुरानी टिन का उपयोग किया. पूजा ने यह मॉडल अपने शिक्षक, राजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन से बनाया. 

कैसे मिला जापान जाने का मौका? 
पूजा का इनोवेशन नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के Inspire Award MANAK के लिए चुना गया. उन्हें साल 2023 में प्रोत्साहन पुरस्कार मिला. इस योजना का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है. इसके बाद, पूजा को जापान के सकुरा साइंस एक्स्चेंज प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि टोक्यो में घूमने का अनुभव बहुत अच्छा था. पूजा अब 12वीं कक्षा के बाद कोई ऐसा व्यवसाय करना चाहती हैं जिससे उनके घर का खर्चा भी चलता रहे और वह अपनी पढ़ाई भी जारी रख सकें. 

पूजा की इस सफलता ने न केवल उनके परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि उनके गांव के लोगों को भी गर्व महसूस कराया है. पूजा का यह मॉडल न केवल पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में मदद करेगा, बल्कि अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा.