
सहारनपुर जिले के नानौता क्षेत्र के किसान शहंशाह आलम ने बच्चों की एक छोटी-सी जिद को अपने जीवन की एक बड़ी प्रेरणा में बदल दिया. उनके बच्चे रोजाना मौसंबी का जूस पीने की जिद किया करते थे. पहले तो शहंशाह आलम उन्हें बाजार से जूस लाकर पिलाते रहे, लेकिन जब रोजाना का खर्चा ज्यादा लगने लगा तो उन्होंने एक अनोखा फैसला लिया. उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने खेत में ही मौसंबी की खेती शुरू कर दी जाए, जिससे बच्चों की ख्वाहिश भी पूरी हो और आमदनी का जरिया भी बनेगा.
इसी सोच के साथ उन्होंने अपने एक एकड़ के खेत में मौसंबी के करीब 100 पौधे लगाए. ये सभी पौधे कोलकाता से मंगवाए गए थे और थाईलैंड की बेहतरीन वैरायटी के हैं, जिनमें रस भी भरपूर निकलता है. तीन साल बाद उनके खेतों में मौसंबी के पेड़ों पर अच्छे फल आना शुरू हो चुके हैं और उत्पादन देखकर खुद शहंशाह आलम और उनके बच्चे बेहद खुश हैं.
अलग सोच बढ़ा सकती है आमदनी
शहंशाह का कहना है कि पारंपरिक खेती से हटकर कुछ अलग करने की सोच ही किसानों की आय को बढ़ा सकती है. उन्होंने पहले डेमो के तौर पर कुछ पौधे लगाए थे, जिनका परिणाम सकारात्मक रहा, और उसी सफलता को देखते हुए उन्होंने पूरे खेत में मौसंबी की बागवानी शुरू की. उनका मानना है कि बच्चों की मासूम जिद ने उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया और अब इस खेती से उन्हें अच्छी आमदनी की उम्मीद भी है. साथ ही, उनके बच्चे भी अब मौसंबी के भरपूर स्वाद का आनंद ले पा रहे हैं.
खास बात यह है कि अब तक इन पौधों में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं आई है और मौसम के अनुसार इनकी ग्रोथ भी शानदार रही है. शहंशाह कहते हैं कि अगर हम अपने बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करने के लिए कुछ नया सोचें तो उससे न सिर्फ उनका प्यार मिलता है, बल्कि जीवन में तरक्की के नए रास्ते भी खुलते हैं.
(राहुल कुमार की रिपोर्ट)