Library (Photo: Unsplash)
Library (Photo: Unsplash) पहले के समय में IAS, IPS को कम ही आम जनता के बीच आकर बातचीत करते हुए देखा जाता था. क्योंकि पहले लोग इन पदों को बहुत ऊंचा मानते थे और खुद को वीआईपी. लेकिन पिछले कुछ सालों में कई अफसरों ने इस धारणा को बदला है. आज बहुत से जिलों में अफसर न सिर्फ लोगों से बात करते हैं बल्कि दूर-दराज के गांव-कस्बे जाकर परेशानियों का हल करते हैं.
ऐसे ही एक अफसर हैं, हिमांशु कफल्टिया, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में 16 सार्वजनिक पुस्तकालय खोले हैं. हिमांशु ने सरकारी नौकरी की तैयारी के समय किताबों को लेकर बहुत सी परेशानियां झेलीं और वह नहीं चाहते कि कोई और छात्र इन परेशानियों से गुजरे.
2016 में की पास परीक्षा
हिमांशु कर्णप्रयाग, कफाल्टिया के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) हैं. उनके पिता शिक्षक थे और मां गृहिणि. हिमांशु हमेशा से एक बेहद संवेदनशील और भावनात्मक व्यक्तित्व वाले रहे हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग में एक कार्यकारी अधिकारी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में काम करने के बाद, हिमांशु ने 2016 में पीसीएस की परीक्षा पास की.
संसाधनों की कमी को झेला
हिमांशु का कहना है कि अगर वह पीछे मुड़कर देखें तो उन्होंने बहुत से बेरोजगारों लोगों को देखा जिनके पास संसाधनों की भारी कमी थी. इस कमी के चलते वे लोग कभी इन परीक्षाओं के शुरुआती स्तर तक भी नहीं पहुंच सके. इसलिए उन्होंने तय किया कि अपनी सर्विस के दौरान कुछ ठोस व्यवस्था करेंगे ताकि प्रहर एक इच्छुक और जरूरतमंद प्रतिभागी को परीक्षा पास करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मिल सकें.
उनका लक्ष्य और इरादे स्पष्ट थे, इसलिए सफलता उनके साथ-साथ चलती रही और नवंबर 2020 में, उन्होंने टनकपुर तहसील में इस तरह की पहली लाइब्रेरी स्थापित की. इन सभी पुस्तकालयों में रीडर्स क्लब स्थापित किए गए हैं. ज्योलीकोट, बनबासा, सुखढांग, तालियाबांज, बुदम, डंडा, सल्ली और तुषरारमें पुस्तकालय बनाए गए हैं. इसके अलावा, अभी 19 जनवरी को नई और ज्ञान खेड़ा के पड़ोस में पुस्तकालय खोले गए थे.
38 सदस्यों ने पास कीं सिविल परीक्षाएं
एसडीएम हिमांशु को इस बात की बहुत खुशी है कि आशु पंत, मोहित देवपा और पंकज पांडे सहित इन पुस्तकालयों के 38 सदस्यों ने सिविल सेवा और अन्य परीक्षाओं को पास करने में सफलता हासिल की है. 2013 में हिमांशु ने गुंजन शर्मा से शादी की जो एक आईआरएस हैं. गुंजन भी हिमांशु के काम में उनका साथ देती हैं.
एलेरा कैपिटल फाउंडेशन के सीईओ राज भट्ट उनकी पहल से प्रभावित हुए और उन्होंने चंपावत के पुस्तकालय को गोद लेने का फैसला किया. भट्ट ने हिमांशु के प्रयोग का विस्तार करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि यह जरूरी है.