scorecardresearch

खराब पड़ी चीजों की मदद से गांव के स्कूल में तैयार कर दी लैब..बच्चों को देते हैं गणित और विज्ञान का प्रैक्टिकल ज्ञान

हिसार के एक स्कूल में एक टीचर ने ऐसी प्रयोगशाला तैयार की है जिसमें सोलर सिस्टम से लेकर बारिश नापने तक के यंत्र हैं. इन तमाम मॉडल को सिर्फ संतोष कुमार ने अपनी सोच और क्रिएटिविटी से मात्र 896 रुपये में तैयार किया है.आज इनकी मदद से वो बच्चों को प्रैक्टिकल ज्ञान देंगे.

बच्चों के साथ राजकुमार बच्चों के साथ राजकुमार
हाइलाइट्स
  • बच्चों को देनी थी प्रैक्टिकल समझ

  • तैयार किए 100 से ज्यादा मॉडल

कहते हैं ना कि अगर नींव मजबूत हो तो इमारत अपने आप में बहुत मजबूत होती है. उसी प्रकार अगर प्रारंभिक शिक्षा की नींव मजबूत हो तो आगे जीवन में सब आसान लगता है और व शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों और बुलंदियों को छू लेता है. आज के दौर में जहां पर स्मार्ट स्कूल और क्लासेज बन रही हैं. वहीं देश में कुछ ऐसे सरकारी स्कूल भी हैं जो अपनी अनोखी पहल और प्रयोग के कारण कॉन्वेंट स्कूल को टक्कर भी दे रहे हैं और उनसे बहुत आगे भी हैं. आज हम आपको हिसार जिले के गांव खरकड़ा के सरकारी स्कूल में बनी प्रयोगशाला के बारे में बताएंगे जिसे करीबन 6 साल पहले राजकुमार ने वेस्ट मटेरियल से तैयार किया है. यहां बच्चों को खेल खेल में मुश्किल माने जाने वाले विषय जैसे कि गणित और विज्ञान को प्रैक्टिकल के तरीके से समझाया जाता है जिससे उनकी नींव मजबूत हो सके.

प्रयोगशाला में क्या है?
इस प्रयोगशाला में सोलर सिस्टम, बारिश नापने के लिए बनाया गया यंत्र, सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण का मॉडल यंत्र, सूर्य से टाइम मापने की मशीन, खाद्य पदार्थों की पहचान उसके अलावा गणित में जमा घटा को समझना, गुणा और भाग का मॉडल, पुरानी करंसी, अलग-अलग आकृतियां क्षेत्रफल को समझाने का मॉडल, अपनी हैंडराइटिंग को सुधारने के लिए बना मॉडल हैं. यह तमाम चीजें देख कर आपको लगेगा कि आप किसी हाई-फाई बड़े कान्वेंट स्कूल में हैं. लेकिन आप हैरान रह जाएंगे जब आपको पता चलेगा कि यह तमाम चीजें सिर्फ और सिर्फ वेस्ट मटेरियल से बना कर तैयार की गई हैं. इन तमाम मॉडल को सिर्फ राजकुमार ने अपनी सोच और क्रिएटिविटी से मात्र 896 रुपये में तैयार किया है. 

यहां पर भारत के नक्शे का एक 3D मॉडल भी तैयार किया गया है जिसमें बच्चे देश की राजधानी पहाड़, नदियां, सागर, पहाड़ के बारे में प्रैक्टिकल ज्ञान लेकर विषय को ना सिर्फ याद करते हैं बल्कि उसे समझते भी हैं. 

बच्चों को देनी थी प्रैक्टिकल समझ
राजकुमार ने बताया कि जब उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था तो उन्हें महसूस हुआ कि क्यों ना बच्चों को विषय की प्रैक्टिकल समझ दी जाए. उसके साथ-साथ जब उन्होंने सरकारी स्कूल में गरीब बच्चों को पढ़ते हुए देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि बच्चों के पास साधन की कमी है और कैसे बच्चों की इस कमी को दूर किया जाए. बस फिर क्या था राजकुमार ने अपने दिमाग में इन बच्चों के लिए विषय को समझने के लिए एक ऐसी प्रयोगशाला बनाने की तैयारी की जिससे बच्चों को उस विषय की पूरी समझ हो सके और जीवन में बच्चे पढ़ाई को गंभीरता के साथ करें. 

राजकुमार ने बच्चों के लिए सबसे कठिन माने जाने वाले विषय गणित और विज्ञान को समझाने के लिए सरलता से लगभग 100 से ज्यादा मॉडल तैयार किए हैं जिसमें बच्चे अब खेल खेल कर तमाम चीजों को सीखते भी हैं और उसे याद भी रखते हैं. राजकुमार द्वारा तैयार की गई इस प्रयोगशाला मैं अब स्कूल के बाकी टीचर्स भी पूरी मदद करते हैं और उनकी सराहना करते नहीं थकते.