Area 51
Area 51 दूसरी दुनिया का पता मिलने की उम्मीद जगी है, लेकिन ऐसा लगता है कि दूसरी दुनिया वालों को हमारा पता शायद बरसों से मालूम है. पिछले आठ दशकों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में एलियन्स और यूएफओ देखने के दावे किए जाते रहे हैं. धरती से बाहर जीवन का संकेत देने वाली खोज इंग्लैंड में हुई है, लेकिन अमेरिका वह देश है, जहाँ धरती पर पहली बार यूएफओ और एलियन्स देखे जाने का दावा किया गया था.
साल 1947 की घटना-
24 जून 1947 को अमेरिका के प्राइवेट पायलट और बिजनेसमैन ने एक पहाड़ी के पास 179 यूएफओ उड़ते देखे थे. यह धरती पर किसी इंसान के यूएफओ देखने की पहली दर्ज घटना है. न्यू मैक्सिको के रोसवेल में एक चरवाहे ने खेत में अजीब सा मलबा देखा. अमेरिकी आर्मी ने मलबे को अपने साथ ले जाकर दावा किया कि यह एक बैलून का मलबा है, लेकिन लोगों का कहना था कि यह मलबा किसी स्पेसक्राफ्ट जैसा था.
एरिया 51 और कॉन्स्पिरेसी थ्योरीज-
एरिया 51, अमेरिका का खुफिया सैन्य अड्डा, एलियन्स से जुड़ी कई कॉन्स्पिरेसी थ्योरीज का केंद्र बिंदु है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यहाँ अमेरिका अपने सबसे उन्नत किस्म के हथियार बनाता रहा है. बॉब लीजर ने 1989 में दावा किया कि वह एरिया 51 में काम कर चुके हैं और उन्हें एलियन स्पेसक्राफ्ट पर काम करने के लिए हायर किया गया था.
उन्नत जासूसी विमान और एलियन तकनीक-
अमेरिका ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की जासूसी के लिए उन्नत जासूसी विमान बनाए. एस आर 71 ब्लैकबोर्ड, दुनिया का सबसे तेज़ उड़ने वाला स्पाइपलाइन, 3400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है. कॉन्स्पिरेसी थ्योरी पर काम करने वालों का मानना है कि अमेरिका को यह तकनीक एलियन्स से मिली.
अमेरिकी सरकार ने एलियन्स और यूएफओ से जुड़े रहस्यों को छुपाने के दावे किए हैं, लेकिन इन दावों की सच्चाई पर सवाल उठते रहे हैं. एरिया 51 और रोसवेल घटना ने इन कॉन्स्पिरेसी थ्योरीज को और भी हवा दी है.
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