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WhistleMan: 10 सालों से नदी की पहरेदारी कर रहे हैं चंद्र किशोर पाटिल...1000 टन से ज्यादा कचरा पानी में जाने से रोका

महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाले चंद्र किशोर पाटिल पिछले 10 सालों से शहर में बहने वाली नंदिनी नदी को बचाने के लिए प्रयासरत हैं.

Chandra Kishore Patil (Photo@ChanduPatilNsk: X/) Chandra Kishore Patil (Photo@ChanduPatilNsk: X/)

भारत में कुल 603 नदियां हैं, जिनमें से लगभग 46% यानी 279 नदियां प्रदूषित हैं. यह आंकड़ा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की 2022 की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 311 प्रदूषित नदी खंडों (Polluted River Stretches - PRS) की पहचान की गई है. जिन नदियों का पानी कभी एक पीढ़ी ने अपने बचपन में पिया था, आज उस पानी में लोग हाथ तक नहीं डालना चाहते हैं. और इसका कारण बाहरी नहीं है बल्कि खुद लोगों ने नदियों को इस हाल तक पहुंचाया है. 

नदियों में पहुंचने वाला कचरा लोगों के घरों से, कंपनियों से ही निकल रहा है. नदियों को साफ रखना सिर्फ प्रशासन या सरकार की नहीं बल्कि हमारे आपके जैसे आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है. अगर एक नागरिक भी स्थिति को बदलने की ठान ले तो वह बड़ा बदलाव ला सकता है. यह सिर्फ किताबी बात नहीं है बल्कि एक शख्स ने इसे सच करके दिखाया है. यह कहानी है महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाले चंद्र किशोर पाटिल की जो पिछले 10 सालों से शहर में बहने वाली नंदिनी नदी को बचाने के लिए प्रयासरत हैं. यह नदी गोदावरी नदी की सहायक नदी है. 

नासिक शहर के 'Whistle Man'
चंद्र किशोर पाटिल पिछले 10 साल से नंदिनी नदी के किनारे सीटी बजाकर लोगों को कचरा फेंकने से रोक रहे हैं. वह पिछले दस सालों से वह हर रोज 16 से 18 घंटे नदी के किनारे खड़े होकर लोगों को नदी में कचरा फेंकने से रोकते हैं. द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह काम इतना आसान नहीं है. बहुत से लोग झगड़ने लगते हैं. कहते हैं, 'तेरे बाप की नदी है क्या?' और तो और उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है. 

लेकिन चंद्र किशोर अपने मिशन से पीछे नहीं हटे. वह लगातार लोगों को नदी में कचरा फेंकने से रोकते रहे, उन्हें जागरुक करते रहे. उनका कहना है कि उन्होंने कभी इस नदी का पानी पिया है. यह नदी उनकी मां की तरह है. इसलिए वह इसमें कचरा नहीं फेंकने देते हैं. 

1000 टन से ज्यादा कचरा नदी में जाने से रोका 
चंद्र किशोर की पहल अब रंग ला रही है. उनकी मेहनत और जुनून से प्रेरित होकर नगर निगम ने नदी को बचाने की मुहिम शुरू कर दी है. इसके लिए 45 से ज्यागा पूलों पर नेट लगाए गए हैं ताकि लोग कचरा न फेंक सकें. नदी के आसपास जगह-जगह डस्टबिन लगाए गए हैं. इन डस्टबिन को दिन में दो बार खाली किया जाता है. सबसे ज्यादा अच्छी बात यह है कि नदी और इसके आसपास से इकट्ठा होने वाल कचरे को रिसायकलिंग के लिए भेजा जा रहा है. इससे तेल और खाद बनाई जा रही है. 

आपको जानकर हैरानी होगी कि चंद्र किशोर अब तक 1000 टन से ज्यादा कचरा नदी में जाने से रोक चूके हैं. वह लोगों की सोच बदलने में भी कामयाब रहे हैं. जो लोग कभी कचरा फेंकने आते थे, अब वे उन्हें कचरे की तस्वीरें भेजते हैं ताकि इसे साफ किया जा सके. चंद्र किशोर ने साबित किया है कि बदलाव लाने के लिए एक अकेला इंसान ही काफी होता है.