
डिजिटल स्क्रीन को लेकर अकसर विवाद रहता है. बच्चे हो या बड़े सभी को मशवरा दिया जाता है कि स्क्रीन टाइम को कम रखा जाए. इससे आंखों पर असर पड़ता है, सिर दर्द होता है साथ ही कई मामलों में नींद ना आने की समस्या होती है. लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में स्क्रीन टाइम को कम भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि लोगों का सब काम अब स्क्रीन पर जो होने लगा है.
ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) की तरफ की कहा जाता है कि जिन बच्चों की उम्र 5 साल से कम है, उनका स्क्रीन टाइम 1 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अब इसको लेकर कई तर्क उठ रहे हैं. कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ का मत इससे बिलकुल उलट है. ऐसे में बीबीसी ने अपनी इस रिपोर्ट में तीन लोगों के साथ बातचीत की और उनकी राय को जाना.
डिजिटल टेक्नोलॉजी से जल्दी सीखते हैं बच्चे
वेस्ट बेलफेस्ट में स्थित सेंट टेरेसा नर्सरी स्कूल में बच्चों का डिजिटल स्क्रीन टाइम निर्धारित होता है. वहां की प्रिंसिपल, क्लेयर ईवन्स, का मानना है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी बच्चों की याद करने की क्षमता में मदद करती है.
उन्होंने बताया कि उनके पास एक बच्चा आया था जो काफी शर्मीला था. वह एक्टिविटी में पार्ट नहीं लेता था. यहां तक कि वह किसी से आंखें भी नहीं मिलाता था. लेकिन नर्सरी स्टाफ ने उसे एक टैबलेट मुहैया करवाया जिसकी मदद से वह चीज़ों को बेहतर तरीके से सीख पाया. इससे वह नंबर और लेटर्स को सीख पाया.
वह कहती हैं कि बात यह नहीं कि आप कुछ भी देखते रहे. बात यह है कि आप जो भी देख रहे हैं, आप उससे कुछ जरूर सीख रहे हों, तभी वह आपके फायदे में हैं. किसी डिजिटल उपकरण को किस तरह से एडस्ट कर बच्चे को सीखाना है यह आपकी जिम्मेदारी है. वह कहती हैं कि बच्चे जब कोविड के बाद लौटे तो वह कई चीज़े भूल चुके थे. जैसे खेलना, कूदना, खाने-पीने के तौर-तरीके. लेकिन टैबलेट की मदद से उन्हें यह सब दोबारा सिखाया जा सका.
सीमा से बाहर कुछ नहीं
वहीं एक दूसरी नर्सरी के मालिक एरन का कहना है कि जब मां-बाप बच्चों को यहां छोड़ कर जाते हैं, तो हमारे स्टाफ को इस बात पर गर्व हैं कि बच्चे डिजिटल स्क्रीन के संपर्क में नहीं आते. वह मानते हैं कि डिजिटल स्क्रीन के कुछ फायदे हैं, लेकिन बच्चे बाहर पहले ही इसके संपर्क में इतने ज्यादा हैं कि उन्हें यहां इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए.
एरन बताते हैं कि हम बच्चों के साथ फिजिकल एक्टिविटी में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. वह कहते हैं, "मुझे यह बात समझ नहीं आती कि आप अपने बच्चे को नर्सरी के ट्रेन्ड स्टाफ के साथ छोड़े, जहां वह कई चीज़ कर सकता है, तो फिर वहां किसी स्क्रीन का क्या काम?"
कैसे बच्चे आते हैं स्क्रीन के संपर्क में
प्रो. केरेन विंटर अपनी किताब में बताती है कि किस तरह बच्चा 3 साल की उम्र तक स्क्रीन के संपर्क में आ जाता है. वह बताती है हर नर्सरी का स्क्रीन को लेकर अपना एक विचार है. कुछ इसको जरूरी मानते हैं तो कुछ गैर जरूरी. हालांकि बच्चों के विकास के लिए डिजिटल स्क्रीन का उपयोग बढ़ता रहा है. ऐसे में स्क्रीन टाइम में कुछ सेटिंग की जरूरत है. वह कहती हैं कि नर्सरी में स्क्रीन का प्रयोग अभिभावकों और स्टाफ के बीच एक चर्चा का विषय है.