भारत में घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण (बंदनवार) लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है. यह सिर्फ सजावट या उत्सव का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं.
1. शुभता और समृद्धि का प्रतीक
आम के पत्तों का तोरण लगाना शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.
श्रीमद्भागवतम (4.9.55) में भी इसका उल्लेख मिलता है- "प्रत्येक द्वार पर दीपक जलाए जाते थे, कलश सजाए जाते थे और आम के पत्तों की लड़ियां लगाई जाती थीं."
आम के पत्ते घर में सकारात्मक ऊर्जा, भगवान का आशीर्वाद और समृद्धि को आमंत्रित करते हैं.
यह मेहमानों और देवताओं का सम्मानपूर्वक स्वागत करने का भी प्रतीक है.
2. धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यता
आम के पत्ते देवी लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) और भगवान मुरुगन (युद्ध और उर्वरता के देवता) से जुड़े हैं.
ऐसा माना जाता है कि भगवान मुरुगन ने ही लोगों को हरे आम के पत्तों का तोरण लगाने की सलाह दी थी, क्योंकि यह उर्वरता, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है.
आम के पत्ते जीवन, वृद्धि और ताजगी का प्रतीक भी माने जाते हैं.
3. हवा को शुद्ध करने में सहायक
कहते हैं कि आम के हरे पत्ते तोड़े जाने के बाद भी कुछ समय तक प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) करते रहते हैं.
वे कार्बन डाइऑक्साइड को सोखकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे घर के आसपास की हवा शुद्ध और ताज़ा रहती है.
4. कीट और जीवाणु दूर रखने में मददगार
आम के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और कीट-रोधी गुण होते हैं.
इन्हें दरवाजे पर लगाने से मक्खियां, मच्छर और कीटाणु घर में प्रवेश नहीं करते.
पत्तों में मौजूद अल्कलॉइड्स, सैपोनिन्स और फ्लेवोनॉइड्स हानिकारक बैक्टीरिया के बढ़ने को रोकते हैं.
5. मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा
आम के पत्तों का हरा रंग मन को शांत करता है और घर में सकारात्मक वातावरण बनाता है.
यह परिवार में सद्भाव, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है.
आम के पत्तों का तोरण लगाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके वैज्ञानिक लाभ भी हैं. यह घर की सुरक्षा, स्वच्छता, सकारात्मकता, और समृद्धि का प्रतीक है. यही कारण है कि आज भी भारत में यह प्राचीन परंपरा बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जाती है.