
उत्तराखंड की वादियों में बागेश्वर के जगदीश कुनियाल एक ऐसा नाम है, जो पर्यावरण और प्रकृति के प्रति समर्पण की मिसाल बन गया है. पिछले 42 साल से जगदीश बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहे हैं और उनकी देखभाल कर रहे हैं. जिन जगहों पर उन्होंने ये पेड़ लगाए हैं, वहां सूख चुके पानी के स्रोत फिर से जिंदा हो गए हैं. उन्होंने कई ऐसे पेड़ उगाए हैं, जो सिर्फ ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं.
18 साल की उम्र से लगा रहे हैं पेड़-
जगदीश कुनियाल बागेश्वर जिले के गरुड़ क्षेत्र के सिरकोट गांव के रहने वाले हैं. जगदीश जब 18 साल के थे, तब ही उन्होंने अपनी बंजर जमीन में चाय का बगीचा लगा दिया था. उसके बाद से ही वो अपनी जमीन पर अलग-अलग किस्म के पेड़ लगाने शुरू कर दिए थे.
जिंदा हो गए जल स्रोत-
रूखे सूखे बंजर जमीन में पानी का नामोनिशान नही था, जो पुराने जल स्रोत थे, वो सब सूख चुके थे. लेकिन जैसे-जैसे जगदीश कुनियाल के लगाए पेड़ बड़े होते गए, बंजर जमीन में हरियाली लौट आई. इसका सकारात्मक असर पानी पर भी पड़ा. जमीन का पानी को सोखने और भूमि के अंदर पानी पहुंचाने की क्षमता बढ़ी. इसका नतीजा ये हुआ कि सूखा हुआ स्रोत जीवित हो गया. आज 12 महीने यहां स्रोतों में पानी रहता है. जिसका उपयोग खेती सहित तीन गांव के लोग पीने के लिए कर रहे हैं.
पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन के बात' कार्यक्रम में जगदीश कुनियाल की प्रकृति प्रेम की सराहना कर चुके हैं. अब जगदीश कुनियाल ने अपने बनाये जंगल में कई पानी के तालाब भी बना दिए हैं.
आधुनिकता की अंधी दौड़ और भौतिक सुख साधनों को पाने की लालसा में लोग पर्यावरण की लगातार अनदेखी कर रहे हैं. कोई भी पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. ऐसे समय में भी कुछ लोग हैं, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पण भाव से काम कर रहे हैं. इनमें से एक नाम जगदीश कुनियाल का भी है. जगदीश पिछले 42 साल पौधारोपण कर पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. कुनियाल 59 साल के हैं. जगदीश अब तक एक लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं.
(जगदीश चंद्र पांडेय की रिपोर्ट)
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