
किसी भी देश के धरोहरें उसकी विरासत होती हैं. ये प्रमाण होती हैं उस इतिहास का जिसे हमारे पूर्वजों ने जिया है. भारत में मौजूद हर किले, महल से लेकर पुराने शहर में हमारे पूर्वजों की छाप मिलती है. इन सभी विरासतों को संजोया और संभाला जा सके इसके लिए वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाया जाता है. हर साल 18 अप्रैल को इंटरनेशनल डे फॉर मोनुमेंट्स एंड साइट्स या फिर वर्ल्ड हेरिटेज डे के रूप में मनाया जाता है.
पूरी दुनिया में इस दिन को स्मारकों और हेरिटेज साइट्स को कांफ्रेंस, राउंड टेबल और समाचार पत्रों के लेखों के साथ मनाया जाता है.
कब शुरू हुआ इस दिन को मनाना ?
दरअसल, पहली बार 1983 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने इस दिन को मनाया था. यूनेस्को के 22वें आम सम्मेलन के दौरान इसे वैश्विक तौर पर एक इवेंट के रूप में मनाने के लिए मान्यता प्राप्त हुई. आपको बता दें, इस दिन को मनाने का उद्देश्य विश्व में सांस्कृतिक विरासत और विविधता के बारे में जागरूकता फैलाना है.
इस बार का थीम?
1983 के बाद से ही, मॉन्यूमेंट्स और साइट्स को लेकर इंटरनेशनल काउंसिल हर साल एक थीम निर्धारित करती है, इसबार का वर्ल्ड हेरिटेज 2022 का थीम ‘विरासत और जलवायु’ (Heritage and Climate) रखा गया है. इस थीम का मकसद है कि लोग ऐसे काम या ऐसी गतिविधि करें जिससे ये पता चले कि दुनिया भर में मौजूद जितनी ऐतिहासिक विरासतें हैं वो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में हमारी मदद कैसे कर सकती हैं.
ICOMOS के मुताबिक, इस साल चर्चा और कार्यक्रमों के लिए सुझाए गए विषयों में आपदा जोखिम (जलवायु-प्रेरित, मानव-प्रेरित), स्थानीय विरासत, संघर्ष में विरासत, विरासत और लोकतंत्र, स्वदेशी विरासत, पवित्र स्थान या पवित्र विरासत शामिल हैं.
भारत में विश्व धरोहर स्थल
गौरतलब है कि भारत में कुल 3691 स्मारक और स्थल हैं. इनमें से 40 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों के रूप में नामित किया है. इनमें ताजमहल, अजंता गुफाएं और एलोरा गुफाएं शामिल हैं. वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में काजीरंगा नेशनल पार्क जैसे प्राकृतिक स्थल भी शामिल हैं.
आपको बता दें, इस दिन पूरे देश में सभी इमारतों और मॉन्यूमेंटल साइट्स में जाना फ्री होता है, किसी भी प्रकार की फीस एंट्री के लिए नहीं देनी होती है.