Vedic Clock to be installed in Ujjain
Vedic Clock to be installed in Ujjain दुनिया की पहली 'वैदिक घड़ी' (Vedic Clock) को प्रौद्योगिकी और परंपरा के मिश्रण का प्रमाण माना जाता है. इस साल एक मार्च को मध्य प्रदेश के पवित्र शहर उज्जैन में इसका अनावरण किया जाना है. ऐसी खबर है कि इस घड़ी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों वर्चुअली कराने का प्रयास किया जा रहा है.
उज्जैन स्थित महाराजा विक्रमादित्य अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. श्रीराम तिवारी के मुताबिक उज्जैन के ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर स्थापित की जाने वाली वैदिक घड़ी का उद्देश्य समकालीन दुनिया के लिए समय निर्धारण की प्राचीन भारतीय प्रणाली को फिर से प्रस्तुत करना है.
महाराजा विक्रमादित्य अनुसंधान संस्थान ने घड़ी की अवधारणा विकसित की है. लखनऊ स्थित सॉफ्टवेयर यूनिट आरोहण ने संस्थान के रिसर्च शोध डेटा के साथ घड़ी को डिजाइन किया है. यह एक बड़ी एलईडी स्क्रीन जो उज्जैन में 300 साल पुरानी जीवाजी वेधशाला के परिसर में स्थित जंतर-मंतर के 85 फीट ऊंचे टॉवर पर स्थापित की जाएगी, और अद्वितीय वैदिक घड़ी के रूप में काम करेगी.
क्या है इस घड़ी की खासियत
उनके अनुसार, घड़ी भारतीय मानक समय (IST), ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) और वैदिक समय एक साथ प्रदर्शित करेगी. घड़ी का निर्धारण वैदिक काल गणना के सिद्धांतों के आधार पर किया जाएगा. देश-दुनिया में अलग-अलग जगहों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में होने वाला बदलाव भी घड़ी में सिंक्रोनाइज़ होगा. घड़ी को 30 'मुहूर्तों' में समय प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो वैदिक प्रणाली में समय की एक इकाई है और यह दिन को 30 बराबर भागों में विभाजित करती है.
घंटे, मिनट और सेकंड प्रदर्शित करने के अलावा, घड़ी खगोलीय बैले का दृश्य प्रदान करेगी, जिसमें ग्रहों और सितारों की चाल, सौर और चंद्र ग्रहण और आकाशीय पिंडों की सटीक स्थिति शामिल होगी. उन्होंने कहा कि समय की सटीक प्रस्तुति के लिए घड़ी को सूर्य की स्थिति के साथ सिंक्रनाइज़ किया जाएगा. विक्रम संवत ऐप के माध्यम से संचालित, घड़ी 'विक्रम पंचांग' से सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, ग्रहों की स्थिति और शुभ समय जैसी जानकारी भी देगी.
सब देख सकेंगे यह घड़ी
स्मार्टफोन, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में ऐप अपलोड करके वैदिक घड़ी को दुनिया के किसी भी हिस्से में देखा जा सकता है. यह घड़ी प्राचीन लिपियों से डिजिटल युग तक वैदिक टाइमकीपिंग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि यह घड़ी प्राचीन भारतीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का मिश्रण है जो इसे एक अद्वितीय सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कलाकृति बनाती है.