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चीन में चल रहा 'प्रीटेंड टू वर्क' ट्रेंड, नौकरी नहीं मिली तो 30 युआन रोज खर्च कर 'ऑफिस' जाते हैं यहां के यंगस्टर्स

चीन में Pretend To Work ट्रेंड चल रहा है. यहां के युवा दिन के करीब 350 रुपये खर्च कर फर्जी ऑफिस जैसी जगह पर जाते हैं, जहां न कोई नौकरी होती है, न सैलरी, लेकिन माहौल पूरा ऑफिस जैसा होता है.

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हाइलाइट्स
  • चीन में युवा अब जिम्‍मेदार दिखने के लिए दे रहे हैं पैसे

  • जॉब न मिलने पर Pretend To Work कंपनियों का बढ़ता क्रेज

चीन में इन दिनों Pretend To Work का ट्रेंड चल रहा है. यहां के युवा दिन के करीब 350 रुपये खर्च कर फर्जी ऑफिस जैसी जगह पर जाते हैं, जहां न कोई नौकरी होती है, न सैलरी, लेकिन माहौल पूरा ऑफिस जैसा होता है. इस नई सुविधा की वजह से कई शहरों में ऐसे नकली ऑफिस खुल गए हैं, जहां युवा पैसे देकर बैठते हैं और कभी-कभी असल में जॉब खोजने या खुद का कारोबार शुरू करने की तैयारी करते हैं.

पैसे देकर नकली ऑफिस में जाते हैं लोग
चीन में युवाओं में बेरोजगारी की दर 14% से भी ऊपर है. ऐसे में असली नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है. युवा अकेले घर पर बैठे रहने से बेहतर समझते हैं कि थोड़े पैसे देकर ऑफिस में जाएं और काम करते दिखें. डोंगगुआन शहर के 30 साल के Shui Zhou ने साल 2024 में अपना फूड बिजनेस खोला था लेकिन घाटे के बाद उसे बंद करना पड़ा. अप्रैल से वह रोजाना 30 युआन देकर एक नकली ऑफिस में जाते हैं. वहां वह दूसरे लोगों के साथ काम करने का दिखावा करते हैं.

सोशल मीडिया से मिला यह आइडिया
Shui Zhou को यह आइडिया सोशल मीडिया साइट Xiaohongshu पर मिला. युवाओं को लगता है कि ऑफिस का माहौल उन्हें अनुशासित रखने में मदद करता है. वह रोजाना सुबह 8 से 9 बजे के बीच ऑफिस पहुंचता है और कई बार देर रात तक वहीं रहता है. यहां काम करने वाले लोग दोस्त बन चुके हैं, जो मिलकर नौकरी की तलाश करते हैं.

शंघाई की Xiaowen Tang ने भी एक महीने के लिए नकली ऑफिस का इस्तेमाल किया. वह एक साल पहले ग्रेजुएट हुई है, लेकिन उसे अभी तक असली नौकरी नहीं मिली. उसकी यूनिवर्सिटी की पॉलिसी है कि ग्रेजुएट्स को या तो नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट दिखाना होगा या इंटर्नशिप का सबूत. Xiaowen ने नकली ऑफिस की तस्वीरें यूनिवर्सिटी को भेजकर इंटर्नशिप का सबूत दिया और ऑफिस में बैठकर ऑनलाइन स्टोरी लिखकर कुछ पैसे भी कमाए.

कंपनी के मालिक भी कभी बेरोजगार थे
चीन के युवा इन जगहों को अस्थायी समाधान के तौर पर देखते हैं. जर्मनी के Dr Biao Xiang कहते हैं कि 'काम करने का नाटक' युवाओं की निराशा और बेबसी की प्रतिक्रिया है. वहीं इस ट्रेंड को शुरू करने वाली कंपनी के मालिक डोंगगुआन खुद भी बेरोजगार रह चुके हैं. यहां आने वाले 40% कस्टमर्स फेक इंटर्नशिप सर्टिफिकेट लेने आते हैं, जबकि बाकी ज्यादातर फ्रीलांसर और डिजिटल वर्कर्स होते हैं.