छत्तीसगढ़ के सरगुजा, अंबिकापुर के मैनपाट इलाके में तिब्बती शरणार्थी 62 वर्षों से शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। 1962 में भारत सरकार द्वारा बसाए गए इस समुदाय ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है कि उनके बीच कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं होता। यदि कोई विवाद होता भी है, तो वे पुलिस या अदालत के पास जाने के बजाय आपस में ही सुलझा लेते हैं। इस व्यवस्था के तहत, विवाद बढ़ने पर सेटलमेंट ऑफिस में दोनों पक्ष बैठते हैं। यहाँ उनके धर्मगुरु दलाई लामा की तस्वीर लगी होती है।