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धर्म

Dev Deepawali 2022: रोशन हुई काशी नगरी... फूलों से महक उठा है बाबा विश्वनाथ धाम, देखें 10 लाख दीयों वाली वाराणसी

काशी नगरी
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भगवान शिव की नगरी में सभी घाटों को लाखों दीयों से रोशन कर दिया गया है. देव दिवाली के दिन वाराणसी करीब 10 लाख दीयों से जगमगाई है और इसके साथ ही 10 लाख दीयों से रोशन वाराणसी ने नया रिकॉर्ड बना दिया गया है. देव दीवाली पर दीपदान करने का बड़ा महत्व है. इस दिन गंगा नदी में दीपदान करने की परंपरा है. माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता गंगा में स्नान करने और दिवाली मनाने के लिए धरती पर आते हैं और दीवाली मनाते हैं. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन कार्तिक पूर्णिमा पर यानी कि देव दिवाली की रात शिव के सामने दीप प्रज्वलित करने पर उन्नति के रास्ते खुल जाते हैं.
 

देव दीपावली
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देव दीपावली पर भोले बाबा नगरी लाखों दीयों से रोशन हो उठी है. मंदिर से लेकर गंगा के घाटों तक कोना-कोना दीयों और रंग बिरंगी लाइटों से जगमगा रहा है. ये सजावट इतनी भव्य और इतनी दिव्य है कि एक ही नजर में किसी का भी मन मोह ले.

 

देव दीपावली
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गंगा के घाटों पर सुबह से ही भक्तों का रेला नजर आया. किसी ने स्नान-ध्यान किया तो किसी ने दीपदान. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष हर कोई शिव की भक्ति में डूबा नजर आया.

काशी
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वैसे तो दुनियाभर में काशी की पहचान मुक्ति और मोक्ष की नगरी के तौर पर है. लेकिन यहां पर हर साल होनी वाली देव दीपावली काशी की शोभा को और बढ़ा देती है. यही वजह है कि देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोग देव दीपावली के मौके पर वाराणसी पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेते हैं.

देव दीपावली
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इस मौके पर गंगा के तट पर हुई संध्या आरती को देखने के लिए भी वहां आस्था का सैलाब नजर आया. मंत्रोच्चार के बीच हुई गंगा आरती ने सभी को भक्ति रस से सराबोर कर दिया.

देव दीपावली
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श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद ये पहली देव दीपावली है. लिहाजा, इस बार देव दीपावली को मनाने के लिए प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. चाहे सजावट हो या फिर श्रद्धालुओं के लिए इंतजाम. 
 

देव दीपावली
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ये तस्वीरें इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि इस अलौकिक देव दीपावली को साल दर साल भव्य से भव्यतम रूप दिया जा रहा है, जिससे काशी की छटा देखते ही बन रही है. 

देव दिवाली
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पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. ये घटना कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुई थी. त्रिपुरासुर के वध की खुशी में ही देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए, यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में दिवाली मनाई जाती है. चूंकि ये दीवाली देवों ने मनाई थी, इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है.