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धर्म

Hola Mohalla: पंजाब में हुई होला मोहल्ला की शुरुआत, जानिए इस परंपरा के बारे में

hola mohalla
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आनंदपुर साहिब में रंगों से सराबोर निहंग सिखों ने 'होला मोहल्ला' उत्सव मनाया. होला मोहल्ला तीन दिनों तक चलने वाला सिख त्योहार है जिसे होली की तरह मनाया जाता है. होला मोहल्ला में लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं. उत्सव के दौरान सिख अपने मार्शल कौशल का भी प्रदर्शन करते हैं. (Photo: PTI)

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होला मोहल्ला, होली के एक दिन बाद, फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है. पंजाब के आनंदपुर साहिब में आयोजित वार्षिक उत्सव, होला मोहल्ला की शुरुआत दसवें सिख गुरु, गोबिंद सिंह ने सैन्य अभ्यास के लिए की थी. इसमें होली के त्योहार के अगले दिन नकली लड़ाई की जाती थी.  (Photo: PTI)

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यह त्योहार लोगों को मुगल साम्राज्य से लड़ रहे अपने पूर्वजों की वीरता और साहस की याद दिलाता है. इस तीन दिवसीय उत्सव में संगीत और कविता प्रतियोगिताओं के बाद मॉक बैटल आयोजित की जाती हैं. निहंग सिंह (सिख सेना के सदस्य जो गुरु गोविंद सिंह द्वारा स्थापित किए गए थे) नकली लड़ाई, तलवारबाजी और घुड़सवारी के प्रदर्शन के साथ मार्शल परंपरा को आगे बढ़ाते हैं. वे गतका (मॉक एनकाउंटर), टेंट पेगिंग, नंगे पीठ घुड़सवारी और दो तेज गति वाले घोड़ों पर खड़े होकर साहसी करतब दिखाते हैं. (Photo: PTI)

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यहां कई दरबार भी हैं जहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब मौजूद हैं और कीर्तन और धार्मिक लेक्चर होते हैं. चमचमाती तलवारें, लंबे भाले, शंक्वाकार पगड़ी पहने हुए, निहंग सिख एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं. वे घोड़ों पर सरपट दौड़ते हैं और लोगों पर रंग डालते हैं. अंतिम दिन पंज प्यारों के नेतृत्व में एक लंबा जुलूस तख्त केशगढ़ साहिब से शुरू होता है. यह यात्रा सिख धार्मिक स्थान, और किला आनंदगढ़, लोहगढ़ साहिब, माता जीतोजी जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण गुरुद्वारों से होकर गुजरती है और तख्त पर समाप्त होती है. (Photo: PTI)

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आनंदपुर साहिब आने वाले लोगों के लिए, सेवा (सामुदायिक सेवा) के एक भाग के रूप में स्थानीय लोगों द्वारा लंगर (स्वैच्छिक सामुदायिक रसोई) का आयोजन किया जाता है. आसपास रहने वाले ग्रामीणों द्वारा गेहूं का आटा, चावल, सब्जियां, दूध और चीनी जैसी सामग्री प्रदान की जाती है. (Photo: PTI)