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धर्म

Ujjain Mahakal: सावन के लिए तैयार है उज्जैन नगरी! भक्तों को दर्शन देने तय समय से पहले जागेंगे महाकाल

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श्रावण का महीना धर्म नगरी उज्जैन के लिए किसी बड़े पर्व से कम नहीं होता है. पूरे माह में दूर-दूर से श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दर्शनों के लिए आते हैं. भगवान भी अपने भक्तों के लिए समय का बंधन तोड़कर जल्दी जागते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं. यह प्रक्रिया करीब डेढ़ महीने तक निरंतर जारी रहती है. 

श्रावण पर्व के लिए महाकालेश्वर मंदिर में साफ-सफाई, रंगरोगन, सभी तरह की साज-सज्जा का कार्य पूरा कर लिया गया है. दरअसल, बारह ज्योतिर्लिंग में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर को काल का नियंत्रण करने वाले देव के रूप में पूजा जाता है. यही वजह है कि अन्य ज्योतिर्लिंगों की अपेक्षा यहां का महत्व अधिक माना गया है. 

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उज्जैन होने वाली भस्म आरती भी अपने आप में खास होती है. इसलिए श्रावण मास में करोड़ों श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए उज्जैन आते हैं. ऐसे में भगवान भी दर्शन देने के लिए तय समय से पहले जागते हैं. श्रावण मास में भस्म आरती के समय में बदलाव किया जाता है. श्रावण माह और भादौं के एक पखवाड़े 11 जुलाई से 18 अगस्त तक रोजाना तड़के 04.00 होने वाली भस्मारती 03.00 बजे से शुरू होगीय इसके अलावा लगभग 40 दिनों की इस अवधि में हर सोमवार को तड़के ढाई बजे मंदिर के पट खुलेंगे और भस्म आरती की जाएगी. 
 

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19 अगस्त से मंदिर के पट खुलने का समय पहले जैसा हो जाएगा. श्रावण-भादौ मास में आम श्रद्धालु के लिए भस्म आरती में चलित दर्शन व्यवस्था भी रहेगी. इसके लिए कार्तिकेय मण्डपम की अन्तिम तीन पंक्तियों से श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करवाए जाएंगे. श्रावण-भादौ मास में सामान्य दर्शन व्यवस्था में भी मंदिर प्रशासन द्वारा बदलाव किया गया है. साथ ही श्रद्धालुओं हेतु जल अर्पण की व्यवस्था महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप व कार्तिकेय मंडपम में जलपात्र के माध्यम से रहेगी. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा शीघ्र दर्शन प्रवेश व्यवस्था, कावड़ यात्रियों के लिए जल अर्पण करने की व्यवस्था भी की गई है.

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अत्यधिक संख्या में आने वाले कावड़ यात्री अनुमति उपरांत मंगलवार से शुक्रवार तक द्वार क्रमांक 04 से प्रवेश कर भगवान महाकाल को जल अर्पित कर सकेंगे. शनिवार, रविवार व सोमवार को आने वाले कावड़ यात्रियों को सामान्य दर्शनार्थियों की तरह निर्धारित मार्ग से प्रवेश मिलेगा. आपको बता दें कि श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल अपनी प्रजाजनों को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए सवारी के रूप में नगर भ्रमण पर निकलते हैं, जिसे महाकाल की सवारी कहा जाता है. इस साल श्रावण-भादौ मास में कुछ छह सवारियां निकाली जाएंगी, जो थीम बेस्ड होंगी. चार सवारी श्रावण सोमवार और दो सवारी भादौं के सोमवार को निकाली जाएगी. 

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इस बार की खास बात ये है कि हर सवारी की एक अलग थीम होगी. पहली सवारी की थीम वैदिक उद्घोष होगी. जिसके तहत रामघाट और दत्त अखाड़ा पर बटुकों द्वारा भव्य वैदिक उद्घोष किया जाएगा. साथ ही साथ ये बटुक सवारी मार्ग में भी वैदिक उद्घोष करेंगे. इसके साथ ही विभिन्न जनजातियों के समूहों द्वारा भगवान महाकाल की सवारी में मनमोहक प्रस्तुतियां दी जाएंगी. आने वाले सोमवारों पर धार्मिक थीम, पर्यटन थीम को लेकर सवारी निकाली जाएगी. 

(उज्जैन से संदीप कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट)