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North America's Tallest Ram Idol: कनाडा में लगी श्रीराम की 51 फीट की भव्य प्रतिमा...उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची मूर्ति

भगवान श्रीराम की यह प्रतिमा फाइबरग्लास और स्टील की मजबूत संरचना से बनी है, जिसे विशेष रूप से कनाडा की कठोर सर्दी और तेज हवाओं को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है.

North America's Tallest Ram Idol North America's Tallest Ram Idol

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक बन चुकी भगवान श्रीराम की 51 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण कनाडा के मिसिसॉगा शहर में स्थित हिंदू हेरिटेज सेंटर में बड़े श्रद्धा और सम्मान के साथ किया गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के साथ कनाडा की कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी मौजूद रहीं. इस अनूठे आयोजन ने कनाडा की धरती पर भारतीय विरासत की अद्वितीय छाप छोड़ी.

प्रतिमा का महत्व और निर्माण
भगवान श्रीराम की यह प्रतिमा फाइबरग्लास और स्टील की मजबूत संरचना से बनी है, जिसे विशेष रूप से कनाडा की कठोर सर्दी और तेज हवाओं को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका निर्माण भारत के गुरुग्राम स्थित 'माटू राम आर्ट्स सेंटर' में किया गया और बाद में कनाडा ले जाकर स्थापित किया गया. इस पूरी परियोजना को चार सालों में इंडो-कैनेडियन समुदाय के सहयोग से पूरा किया गया.

तकनीकी विशेषताएं

  • ऊंचाई: 51 फुट
  • सामग्री: फाइबरग्लास और मजबूत स्टील
  • 100 सालों तक टिकाऊ
  • स्थापना: कनाडा के लोकल कारीगरों द्वारा
  • स्थान: हिंदू हेरिटेज सेंटर, मिसिसॉगा

यह प्रतिमा उत्तर अमेरिका में भगवान श्रीराम की सबसे ऊंची मूर्ति बन गई है. इसका उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति और वैश्विक पहचान का प्रतिनिधित्व करती है.

भव्य समारोह में शामिल हुए प्रमुख नेता
इस उद्घाटन समारोह में कनाडा की केंद्रीय मंत्री रेची वालडेज़ (महिला और लैंगिक समानता मंत्री), ट्रेज़री बोर्ड के अध्यक्ष शफाकत अली, स्थानीय सांसद और समुदाय के अन्य प्रतिष्ठित नेता मौजूद रहे. कार्यक्रम को जनसमूह की विशाल उपस्थिति ने ऐतिहासिक बना दिया.

मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत का योगदान
प्रतिमा के पीछे जिन हाथों ने इसे आकार दिया, वे हैं विश्वविख्यात मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत, जिन्होंने 80 से अधिक देशों में 200 से अधिक भव्य प्रतिमाएं बनाईं हैं. इनमें 150 से ज्यादा मूर्तियां देवी-देवताओं और राष्ट्रपुरुषों की हैं. 

नरेश कुमार ने कहा, “यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे सनातन धर्म के लिए काम करने का अवसर मिला. यह प्रतिमा सिर्फ एक धार्मिक चिन्ह नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का संदेश पूरे विश्व में फैलाने का माध्यम है.”

अयोध्या से प्रेरणा
जनवरी 2024 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन से प्रेरणा लेकर इस प्रतिमा का निर्माण किया गया. यह एक प्रयास है दुनिया को यह दिखाने का कि भारतीय संस्कृति समय और सीमाओं से परे है.

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर कदम
यह प्रतिमा भारतीयों के लिए गौरव का विषय है, खासकर प्रवासी भारतीयों के लिए, जो अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं. यह नई पीढ़ी को हमारी प्राचीन परंपराओं, जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक विचारों से जोड़ने का माध्यम बनेगी.

भगवान श्रीराम की यह भव्य प्रतिमा आज न केवल मिसिसॉगा में एक धार्मिक स्थल की शोभा बढ़ा रही है, बल्कि पूरे उत्तर अमेरिका में भारतीय संस्कृति की जीवंत उपस्थिति का प्रमाण बन गई है. यह पहल दर्शाती है कि भारतीय सभ्यता की गूंज अब विश्वभर में सुनाई दे रही है, और यह प्रतिमा उसकी अमर प्रतीक बन गई है.

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