
राजस्थान के फतेहपुर शेखावाटी में स्थित चर्तुभुज माता मंदिर करीब 572 वर्ष पुराना है. यह मंदिर शहर के डिया अस्पताल के पीछे स्थित है. मंदिर में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की प्रतिमाएं विराजमान हैं और यहां हर दिन पूजा होती है. नवरात्रि के समय तो हजारों श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं.
संगमरमर पर उकेरी गई सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती
मंदिर की सभामण्डल की चारों दीवारों पर संगमरमर के पत्थरों पर दुर्गा सप्तशती उकेरी गई है. इसमें सभी 13 अध्याय, देवी सूक्तम, क्षमा प्रार्थना, देव्यपराध क्षमापन स्त्रोत, सिद्धकुन्जिका स्त्रोत शामिल हैं. कुल मिलाकर करीब 758 संस्कृत श्लोक बेहद सुंदरता और पूर्ण शुद्धता के साथ उकेरे गए हैं.
यह काम सन 1989 (सवंत 2046) में सेठ बलदेव दास बाजोरिया के वंशजों द्वारा करवाया गया था और लगभग एक साल में पूरा हुआ. पत्थरों के बीच में मां त्रिपुरा सुंदरी और अन्य रूपों की सोने की झोल वाली तस्वीरें भी लगाई गई हैं.
गर्भगृह में चांदी का सिंहासन और पांच प्रमुख मूर्तियां
मंदिर के गर्भगृह में चांदी का ठोस सिंहासन है. इसके ऊपर मां दुर्गा के पांच रूपों की अष्ट धातु की मूर्तियां विराजमान हैं:
इन मूर्तियों के चार-चार हाथ हैं, इसलिए इसे चर्तुभुज माता मंदिर कहा जाता है.
नौ रूपों की बड़ी संगमरमर की प्रतिमाएं
मंदिर में मां दुर्गा के सभी 9 स्वरूपों की बड़ी संगमरमर की प्रतिमाएं दीवारों में स्थापित हैं. ये हैं:
नवरात्रि में इनकी विशेष पूजा होती है.
कुलदेवी और विशेष आयोजन
मां चर्तुभुजा बाजोरिया, पंसारी, गनेडीवाल अग्रवाल गौत्रीय महाजनों और सारस्वत ब्राह्मणों की कुलदेवी हैं. विवाह, जात और जडूले आदि कार्य इसी कुलदेवी के समक्ष किए जाते हैं. नवरात्रि के अलावा गोपाष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें पूरे भारत से भक्त शामिल होते हैं और स्नेह सम्मेलन भी आयोजित किया जाता है. मंदिर की पूजा अर्चना अब पुजारी देवकीनंदन सारस्वत की चौथी पीढ़ी द्वारा की जा रही है.
(राकेश गुर्जर की रिपोर्ट)
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