Akshaya Tritiya 2025
Akshaya Tritiya 2025 अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन सोना-चांदी को खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.
ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि अक्षय तृतीया के दिन एक-दो नहीं कई पौराणिक घटनाएं हुई थीं इसलिए इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जाता है. अबूझ मुहूर्त में हर मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नया व्यवसाय करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इस बार अक्षय तृतीया किस दिन है और क्या शुभ मुहूर्त है?
इस दिन मनाई जाएगी अक्षय तृतीया
हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इस साल अक्षय तृतीया की तिथि 29 अप्रैल की शाम 5:32 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:13 बजे तक रहेगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है. ऐसे में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. 30 अप्रैल को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:07 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक रहेगा.
सोना-चांदी खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन यानी 30 अप्रैल 2025 को सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त करीब साढ़े आठ घंटे तक रहेगा. आप इस दिन सुबह 05:41 बजे लेकर दोपहर 02:12 बजे तक सोना-चांदी खरीद सकते हैं. अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा काफी पुरानी है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन खरीदी गई चीजें घर में सुख-समृद्धि लेकर आती हैं और धन में वृद्धि होती है. इसके कारण इस दिन बाजारों में काफी खरीदारी होती है. यदि आप सोना-चांदी खरीदने में सक्षम नहीं हैं तो मिट्टी का मटका या फिर पीतल की वस्तु, पीली सरसों भी खरीद सकते हैं,
क्या है पूजा विधि
1. अक्षय तृतीया के दिन सुबह ठंडे जल से स्नान करने चाहिए. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. अक्षय तृतीया कि दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
3. इसके बाद एक वेदी स्थापित कर उसके ऊपर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.
4. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को फूल अर्पित करें. मां लक्ष्मी को कमल और विष्णु भगवान को पीले फूलों की माला पहनाएं.
5. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को फल और मिठाई का भोग लगाएं.
6. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.
7. इसके बाद आरती करें और अंत में शंखनाद से पूजा समाप्त करें.
अक्षय तृतीया का क्या है धार्मिक महत्व
शास्त्रों में अक्षय तृतीया को युगादि तिथि कहा गया है क्योंकि इसी दिन सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग की शुरुआत हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया पर ही हुआ था. इसी दिन मां गंगा धरती पर आईं थीं. यही नहीं, चारधाम यात्रा की शुरुआत भी अक्षय तृतीया से होती है. इस तरह से इस दिन कई पौराणिक घटनाएं हुई थीं इसलिए इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जाता है.