
Alop Shankari Temple in Prayagraj
Alop Shankari Temple in Prayagraj संगम नगरी प्रयागराज में स्थित अलोप शंकरी मंदिर नवरात्रि ही नहीं, पूरे साल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहता है. यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है. यहां माता के दर्शन किसी मूर्ति में नहीं, बल्कि झूले में होते हैं. यही इसकी विशेष पहचान है.
झूले में दर्शन देती हैं मां
इस मंदिर में देवी की प्रतिमा नहीं है. भक्त मां अलोप शंकरी के झूले के दर्शन करते हैं. माना जाता है कि यहां दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. नवरात्रि पर हज़ारों भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं. झूले के बगल में माता के नौ दुर्गा स्वरूपों की झलक भी मिलती है.
शक्ति पीठ बनने की कथा
हिंदू मान्यता के अनुसार, राजा दक्ष ने अपने यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया. बिना बुलाए ही सती वहां पहुंचीं, लेकिन सभा में भगवान शिव का अपमान देखकर उन्होंने हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए.

इसके बाद भगवान शिव दुख से व्याकुल होकर सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण करने लगे. तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, ताकि शिव का दुख कम हो सके.
जहां-जहां माता सती के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठ स्थापित हुए. माना जाता है कि प्रयागराज के इस स्थान पर सती की अंगुलियां गिरी थीं और यहीं उनका शरीर अलोप (अदृश्य) हो गया. इसी कारण इस स्थान का नाम पड़ा- अलोप शंकरी मंदिर.
आस्था और मान्यताएं
यहां आने वाले श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मां के झूले के दर्शन से हर समस्या दूर हो जाती है. खासकर यहां के जलहरी के जल से चेचक जैसी बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं. इस तरह प्रयागराज का अलोप शंकरी मंदिर सिर्फ़ एक शक्ति पीठ ही नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और दिव्यता का संगम माना जाता है.
(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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