Amarnath cave shivling
Amarnath cave shivling अमरनाथ यात्रा 2025 की शुरुआत 3 जुलाई से होगी और यह यात्रा 9 अगस्त को समाप्त होगी. इस बार बर्फ़ से बना शिवलिंग करीब सात फीट ऊंचा है और इस शिवलिंग के दर्शन के लिए देश भर से लाखों लोग अमरनाथ आते हैं. यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 14 अप्रैल से शुरू हो चुकी है और अब तक 3,60,000 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है.
क्या है प्रक्रिया
श्रद्धालु ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट का उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और येस बैंक की 540 से ज्यादा ब्रांच में भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.
सुरक्षा और तैयारियों का जायजा
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया और सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है. पहलगाम में घोड़े खच्चर वालों का रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया गया है और बड़ी संख्या में टट्टू वाले आकर रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं.
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने अमरनाथ ट्रैक पर बर्फ़ हटाने का काम शुरू कर दिया है. जेसीबी और स्नो क्लीयरिंग मशीनों की मदद से बर्फ़ की मोटी चादर को हटाकर रास्ता साफ किया जा रहा है. बीआरओ के कर्मचारी विपरीत मौसम की चुनौतियों के बावजूद ट्रैक साफ करने में जुटे हुए हैं.
यात्रियों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा सलाह
अमरनाथ यात्रा के मार्ग
अमरनाथ यात्रा के दो प्रमुख मार्ग हैं: पहलगाम और बालटाल. पहलगाम से यात्रा 5 दिन में पूरी होती है जबकि बालटाल से यात्रा 1 दिन में पूरी हो जाती है. बालटाल का रास्ता छोटा लेकिन कठिन है और शारीरिक रूप से फिट श्रद्धालु ही इस मार्ग से यात्रा कर सकते हैं.
पौराणिक मान्यताएं
अमरनाथ गुफा के बारे में कई पौराणिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां देवी पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था. गुफा में शिवलिंग के स्थान पर बूंद-बूंद जल टपकता है और उसी जल के जमने से शिवलिंग बनता है. मान्यता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती की कथा सुनने के कारण गुफा में मौजूद कबूतर का एक जोड़ा अमर हो गया था. आज भी यह जोड़ा गुफा में निवास करता है और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देता है.
अमरनाथ यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. हर साल हजारों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं. शिवलिंग का आकार हर साल अलग होता है और इसे देखना एक अलौकिक अनुभव होता है.