
देशभर में आज अमरनाथ यात्रा की धूम है. जम्मू से पहला जत्था रवाना हो चुका है और कल यानी 3 जुलाई से यात्रा शुरू की जाएगा. आपको बता दें कि पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक की यात्रा में सात अहम पड़ाव हैं, जिनके आध्यात्मिक गुण रहस्य बताए गए हैं.
भगवान शिव ने इन पड़ावों पर अपने भक्तों को त्याग का संदेश दिया है. जो लोग मोक्ष प्राप्ति की साधना में लगे हैं, उन्होंने इन रहस्यों को समझने की कोशिश की है. भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए कश्मीर घाटी के इस दुर्गम स्थान को चुना. वे मां पार्वती के साथ पहलगाम के रास्ते सात पड़ावों से होकर पवित्र गुफा तक पहुंचे. इन पड़ावों में मौजूद संकेतों को समझने से अमरनाथ यात्रा के शुभ फल की प्राप्ति होती है.
पहलगाम: पहला पड़ाव
अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव पहलगाम है, जो श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर हैं. यहां भगवान शिव ने अपने वाहन नंदी का त्याग किया. नंदी का सांकेतिक अर्थ सांसारिक वस्तुओं पर निर्भरता से है. भगवान शिव ने यह संदेश दिया कि आध्यात्मिक यात्रा के लिए सांसारिक वस्तुओं की निर्भरता समाप्त करनी होगी.
चंदनबाड़ी: दूसरा पड़ाव
दूसरा पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से 16 किलोमीटर दूर है. यहां भगवान शिव ने अपने मस्तक पर विराजमान चंद्रमा का त्याग किया. इसका अर्थ है कि अहंकार का त्याग करना. भगवान शिव ने यह संदेश दिया कि अहंकार के रहते भगवत प्राप्ति संभव नहीं है.
पिस्सू टॉप: तीसरा पड़ाव
चंदनबाड़ी से चार किलोमीटर आगे पिस्सू टॉप आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान राक्षसों के शवों से निर्मित हुआ है. यहां भगवान शिव ने काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर जैसे विकारों का त्याग किया. यह संदेश दिया कि मोक्ष यात्रा के लिए इन विकारों का त्याग आवश्यक है.
शेषनाग: चौथा पड़ाव
पिस्सू टॉप से आठ किलोमीटर आगे शेषनाग आता है. यहां भगवान शिव ने अपनी अंतिम इच्छा, मुक्ति और मोक्ष की कामना का त्याग किया. शेषनाग का संबंध कुंडलिनी जागरण से है, जो मोक्ष प्राप्ति का साधन है.
महागुड पर्वत: पांचवां पड़ाव
शेषनाग से चार-पांच किलोमीटर आगे महागुड पर्वत आता है, जो 14,000 फीट की ऊंचाई पर है. यहां भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश जी का त्याग किया. यह संदेश दिया कि परिवार और जगत का भेद मिटाकर ही परम प्राप्ति संभव है.
पंचतरणी: छठा पड़ाव
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पंचतरणी में पांच नदियां बहती हैं. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को इन नदियों को पार करना पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि ये पांच धाराएं भगवान शिव की जटाओं का प्रतीक हैं. इन्हें स्पर्श करने से शांति प्राप्ति होती है.
पवित्र गुफा: अंतिम पड़ाव
अंत में भगवान शिव और मां पार्वती पवित्र गुफा पहुंचे, जहां भगवान शिव ने अमरत्व की कथा सुनाई. यह गुफा अमरनाथ यात्रा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है. यहां भगवान शिव ने संसार के बंधनों से मुक्त होने का संदेश दिया.
अमरनाथ यात्रा के ये सात पड़ाव भगवान शिव के त्याग और मोक्ष प्राप्ति की गूढ़ कथा को दर्शाते हैं. यह यात्रा आध्यात्मिक साधना और आत्मज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.