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रायसेन के बाड़ी में स्थित प्राचीन जैन मंदिर, जहां भक्तों को होते हैं चमत्कारिक अनुभव

इस मंदिर की भव्यता में संवत 1282 में आचार्य मदन कीर्ति द्वारा और वृद्धि की गई थी. उनके प्रयासों से मंदिर को विशाल रूप मिला और इसे एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में और अधिक मान्यता मिली.

Raisen Jain Temple Raisen Jain Temple

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की बाड़ी तहसील अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण हमेशा से चर्चा में रही है. यहां स्थित भगवान आदिनाथ का प्राचीन जैन मंदिर न केवल अपनी स्थापत्य कला, बल्कि अपनी चमत्कारी घटनाओं के कारण भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

बताया जाता है कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य की पत्नी अकल्य देवी द्वारा विक्रम संवत 8 में कराया गया था. तब से लेकर आज तक यह मंदिर आस्था का प्रतीक बना हुआ है. मंदिर की एक दीवार पर बनी चित्रकारी अजंता की गुफाओं की कलाकृतियों की याद दिलाती है, जो तत्कालीन शिल्प और चित्रकला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है.

भगवान आदिनाथ की प्रतिमा है स्थापित 
इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित है, जो करीब ढाई हजार साल पुरानी मानी जाती है. स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आए दिन कुछ न कुछ चमत्कारी घटनाएं घटती रहती हैं. कई बार रात के समय मंदिर परिसर में ढोलक, झांझ और अन्य वाद्य यंत्रों की आवाजें सुनाई देती हैं, जैसे वहां संकीर्तन चल रहा हो.

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मंदिर से जुड़े लोग इसे दैवीय संकेत मानते हैं और इसे एक अतिशय क्षेत्र के रूप में स्वीकार करते हैं. कहा जाता है कि इस स्थान पर कई जैन संतों ने तपस्या की है और इस क्षेत्र को पुण्यभूमि का दर्जा दिया है.

ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है ये 
इस मंदिर की भव्यता में संवत 1282 में आचार्य मदन कीर्ति द्वारा और वृद्धि की गई थी. उनके प्रयासों से मंदिर को विशाल रूप मिला और इसे एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में और अधिक मान्यता मिली.

बाड़ी तहसील का यह क्षेत्र अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है. यहां स्थित हिंगलाज माता की उपपीठ भी विशेष महत्व रखती है. मुख्य पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है और यह स्थल शक्ति की उपासना करने वालों के लिए अत्यंत पूजनीय है.

स्थानीय श्रद्धालुओं के विचार
इस मंदिर की मान्यता और चमत्कारों को लेकर जैन समाज के कई प्रमुख लोगों ने अपनी बात रखी. नरेंद्र जैन, जैन समाज अध्यक्ष, बाड़ी ने कहा, "यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि यहां की हर घटना ईश्वर की लीला है." सुरेंद्र जैन, सुल्तानपुर से कहते हैं, "मैंने खुद रात में मंदिर में संगीत और वाद्य यंत्रों की आवाजें सुनी हैं. यह अनुभव अलौकिक था."

इस प्रकार, रायसेन के बाड़ी में स्थित यह प्राचीन जैन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह इतिहास, कला और आध्यात्म का भी अद्वितीय संगम है.

(रिपोर्ट: राजेश रजक)