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अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अपने बयान पर दी सफाई, कहा- 'कड़वी बातें समाज सुधार के लिए जरूरी'

महाराज ने बॉलीवुड पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने रणवीर सिंह के निर्वस्त्र फोटोशूट, अश्लील गानों और शराब को बढ़ावा देने वाले दृश्यों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी फिल्मों और गानों पर बैन लगाया जाना चाहिए.

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य कथावाचक अनिरुद्धाचार्य
हाइलाइट्स
  • लिव-इन रिलेशनशिप और जल्दी शादी का तर्क

  • कड़वी बात समाज सुधार के लिए जरूरी

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अपने विवादित बयान कुछ लड़कियां मुंह मारती हैं पर आजतक के पॉडकास्ट में सपाई दी. उन्होंने कहा यह गांव की बोली है, जिसका प्रयोग उन्होंने शादी से पहले टेस्ट ड्राइव जैसी अवधारणाओं का विरोध करने के लिए किया. उनका कहना है कि जैसे कड़वी दवा बीमारी को ठीक करती है, वैसे ही समाज सुधार के लिए कभी-कभी कठोर शब्दों की जरूरत होती है.

भारत में नग्नता की कोई जगह नहीं
आजतक से बातचीत में महाराज ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में अर्जुन को डांटने के लिए नपुंसक शब्द का इस्तेमाल किया था. मीठे शब्दों से समाज का सुधार नहीं होता. उन्होंने पश्चिमी संस्कृति की अर्धनग्नता पर कड़ा हमला बोला और कहा कि भारत की संस्कृति पतिव्रताओं की है, यहां नग्नता की कोई जगह नहीं है.

बॉलीवुड और अश्लीलता पर निशाना
महाराज ने बॉलीवुड पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने रणवीर सिंह के निर्वस्त्र फोटोशूट, अश्लील गानों और शराब को बढ़ावा देने वाले दृश्यों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी फिल्मों और गानों पर बैन लगाया जाना चाहिए. उन्होंने पूछा, अगर सुपरस्टार शराब पीते दिखेंगे तो क्या बच्चे गलत आदतें नहीं सीखेंगे?

लिव-इन रिलेशनशिप और जल्दी शादी का तर्क
लिव-इन रिलेशनशिप पर सवाल उठाते हुए महाराज ने कहा कि पहले भारत में इसकी जरूरत नहीं पड़ती थी क्योंकि विवाह जल्दी हो जाते थे. उन्होंने कहा कि अगर समय पर शादी हो जाए तो लिव-इन की नौबत ही नहीं आती .हालांकि उन्होंने शादी की उम्र घटाने की मांग से इनकार किया, लेकिन खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने 23 साल की उम्र में विवाह किया था.

आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर संविधान और गीता में से चुनना पड़े तो वे गीता को चुनेंगे, क्योंकि गीता के सिद्धांत अपनाकर भी संविधान का पालन किया जा सकता है.

संतों के विरोध को बताया एजेंडा
प्रेमानंद जी महाराज समेत संतों के खिलाफ हो रहे विरोध को महाराज ने एक एजेंडा करार दिया. उन्होंने कहा कि विरोध भाषा का नहीं, बल्कि संतों का किया जा रहा है. साथ ही, संतों के साथ हुए दुर्व्यवहार जैसे सिर मुंडवाना और चोटी काटना गलत बताया.

अखिलेश यादव से मुलाकात पर अनिरुद्धाचार्य ने बताया कि वह यमुना एक्सप्रेसवे पर कथा करने जा रहे थे. उसी दौरान अखिलेश यादव का काफिला वहां से गुजरा. उन्होंने जब मुझे देखा तो रुक गए और पूछा, कहां जा रहे हैं? मैंने जवाब दिया, कथा करने जा रहा हूं. इस पर अखिलेश यादव ने मुझसे पूछा, क्या आप वर्ण व्यवस्था को मानते हैं?

इस देश में कोई भी अछूत नहीं
अनिरुद्धाचार्य ने आगे बताया मैंने कहा गीता में लिखा है, इसलिए मानना पड़ेगा, क्योंकि यह भगवान कृष्ण की वाणी है और वर्ण व्यवस्था स्वयं भगवान कृष्ण ने बनाई है. इस पर अखिलेश यादव ने कहा, मैं नहीं मानता. मैंने उनसे कहा, मतलब आप भगवान को भी नहीं मानते. इस पर अखिलेश यादव ने मुझसे ही सवाल कर लिया, भगवान कृष्ण का पूरा नाम बताइए. अनिरुद्धाचार्य ने कहा हमारी जो वर्ण व्यवस्था थी, उसमें छुआछूत नहीं थी. यह तो कुछ राजनेताओं ने राजनीति के लिए इसे मुद्दा बना दिया. इस देश में कोई भी अछूत नहीं है. हमारे वेद, पुराण और संस्कृति ने कभी यह भेद नहीं किया कि कोई अछूत है. भगवान राम ने भी शबरी को गले लगाया था. राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदुओं पर गोली भी चलाई गई थी.

गीता और संविधान के सवाल पर अनिरुद्धाचार्य ने जवाब दिया, मैं गीता चुनूंगा. संविधान का क्या करेंगे? आप लोग संविधान चुनकर भी उसका पालन नहीं करते, जबकि हम गीता चुनकर संविधान का पालन करते हैं.