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Parshurameshwar Mahadev Temple: भगवान परशुराम से है कनेक्शन! मां की हत्या के बाद भगवान ने किया था पश्चाताप

उत्तर प्रदेश में बागपत के परशुरामेश्वर महादेव मंदिर का कनेक्शन भगवान परशुराम से है. मां का वध करने के बाद पश्चाताप की अग्नि में तपते हुए परशुराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी. फिर हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया. माना जाता है कि यहीं से कांवड़ यात्रा की परंपरा का पहला बीज पड़ा.

Parshurameshwar Mahadev Temple Parshurameshwar Mahadev Temple

उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित परशुरामेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में रहस्यमयी, ऐतिहासिक और चमत्कारी गाथा समेटे हुए है. कहते हैं कि इस शिवधाम की स्थापना खुद भगवान परशुराम ने की थी. उन्होंने वो भी एक भयानक अपराध के पश्चाताप स्वरूप इसकी स्थापना की थी.

परशुराम ने की थी मां की हत्या-
पुराणों की मानें तो परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा पर अपनी ही मां का वध कर दिया था. लेकिन इस पापबोध ने उन्हें विचलित कर दिया. पश्चाताप की अग्नि में तपते हुए खुद शिवलिंग की स्थापना की. फिर हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया. माना जाता है कि यहीं से कांवड़ यात्रा की परंपरा का पहला बीज पड़ा. इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग भी किसी चमत्कार से कम नहीं.

रंग बदलता है शिवलिंग- 
स्थानीय मान्यता है कि यह शिवलिंग समय-समय पर अपना रंग बदलता है, जो आस्था रखने वालों के लिए अद्भुत और अलौकिक अनुभव होता है. मंदिर से जुड़े लोगों की माने यह शिवलिंग जीवंत है और इसकी ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है. 

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मंदिर समिति सचिव के पंडित संजीव शर्मा बताते हैं कि परशुरामेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासिक है. इसकी बड़ी मान्यता है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते है. इस मंदिर की स्थापना खुद भगवान परशुराम ने की थी और कांवड़ की शुरुआत यहीं से हुई थी. मन्दिर का शिवलिंग भी समय समय पर रंग बदलता है.

इतना ही नहीं, मंदिर समिति के सदस्य संजीव शर्मा बताते है कि इतिहास की मानें तो मुगल शासक औरंगजेब ने इस शिवधाम को नष्ट करने की कोशिश की थी. हाथी से शिवलिंग को खींचवाया गया. लेकिन ना शिवलिंग हिला, ना आस्था डगमगाई. तब से इस मंदिर को अजर–अमर शिवशक्ति का प्रतीक माना जाता है.

ऐतिहासिक स्थल को मिला पर्यटन स्थल का दर्जा-
योगी सरकार ने अब इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है. विशेष बजट पास हुआ है और मंदिर को काशी–उज्जैन की तर्ज़ पर विकसित करने की योजना है. यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उत्तर भारत की संस्कृति और परंपरा का जीता-जागता प्रतीक बनने जा रहा है.

मनोकामना होती है पूरी-
श्रदालु कुलदीप शर्मा कहते है कि यहां मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी हर कामना पूरी होती है. यही वजह है कि यूपी ही नहीं, बल्कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब तक से श्रद्धालु सावन में इस मंदिर में जलाभिषेक करने आते हैं. यही वजह है कि परशुरामेश्वर महादेव अब सिर्फ एक मंदिर नहीं रहा. यह आस्था, इतिहास और शक्ति का संगम बन चुका है. एक बार जरूर जाना चाहिए इस चमत्कारी शिवधाम में, जहां इतिहास आज भी सांस लेता है.

(मनुदेव उपाध्याय की रिपोर्ट)

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