
उत्तर प्रदेश के बागपत में महाशिवरात्रि पर आयोजित कांवड़ मेला में इतिहास बन गया है. जहां एक ओर देश भर में मेले और धार्मिक आयोजन के बाद कूड़े के ढेर देखने को मिलते हैं, वहीं बागपत ने इस बार इतिहास रच दिया. सावन के महीने में पावन महाशिवरात्रि के मौके पर परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर में हर साल चार दिवसीय कांवड़ मेला आयोजित होता है. लेकिन इस बार ये मेला सबसे अलग था. इस बार ये मेला 'जीरो वेस्ट इवेंट' के तौर संपन्न हुआ है. यह देश में इस तरह की अनूठी पहल है. इस अनूठी पहल ने ऐसा समन्वय दिखाया, जिसमें श्रद्धा, सेवा और स्वच्छता तीनों का संगम देखने को मिला.
कांवड़ मेला में अनूठी पहल-
बागपत के परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर में चार दिवसीय कांवड़ मेला इस बार सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह देशभर में होने वाले आयोजनों के लिए एक मिसाल बन गया है. बागपत जिलाधिकारी अस्मिता लाल की अगुवाई में इस महाशिवरात्रि को 'जीरो वेस्ट इवेंट' के रूप में मनाया गया, जिसमें लाखों कांवड़ियों ने हिस्सा लिया.
कैसे हुआ जीरो वेस्ट मेले का आयोजन?
हरिद्वार से जल लाकर भक्तों ने भोलेनाथ को जल चढ़ाया. लेकिन पूजा सामग्री यूं ही नहीं फेंकी गई. फूल, फल, बेलपत्र और धतूरा जैसी जैविक चीजें या तो गौशालाओं को दी गईं या फिर मंदिर परिसर में प्राकृतिक तरीके से नष्ट की गईं. जल भरने वाली प्लास्टिक बोतलें, श्रद्धालुओं की चप्पल और दूसरी अपशिष्ट सामग्रियां रीसाइक्लिंग के लिए भेजी गईं और उससे जो भी पैसा मिला, वो मंदिर को दान में दे दिया गया.
इस मेले के नोडल अधिकारी बनाए गए नगर पालिका अधिशासी अधिकारी के.के. भड़ाना की अगुवाई में जिले के 9 नगर निकायों से आए 126 सफाईकर्मियों ने पूरे मेले को इतना साफ-सुथरा बनाए रखा कि श्रद्धालु हैरान रह गए. के.के भड़ाना ने कहा कि जिलाधिकारी के अनुसार पहले से ही तय कर लिया गया था कि कैसे व्यवस्था करनी है? जिसके लिए कूड़े को अलग अलग तरह से निस्तारण किया गया और जीरो वेस्ट मेला सफल आयोजित हुआ.
(मनुदेव उपाध्याय की रिपोर्ट)
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