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शन‍िवार को मनाया जाएगा भाई दूज यानी यम द्वितीया का त्योहार, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

मान्यता है कि भाई दूज की तिथि पर जो भाई अपने बहन के घर का अन्न ग्रहण करता है उसकी अकाल मृत्य से रक्षा होती है. बहन का प्यार यमराज से भी अपने भाई के सौभाग्य की मांग कर लेता है.

बहन और भाई के बीच प्यार को बढ़ाता है भाई दूज बहन और भाई के बीच प्यार को बढ़ाता है भाई दूज
हाइलाइट्स
  • भाईयों की लंबी उम्र के लिए बहनें करती हैं पूजा

  • जान‍िए क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार

  • भाई दूज के इस त्योहार को यम द्वितीया भी कहते हैं

दीपावली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले त्योहार भाई दूज (Bhai Dooj) का सनातन धर्म में विशेष महत्व माना गया है. रक्षा बंधन की तिथि पर जहां बहनें अपने भाई के घर पहुंचती हैं. तो साल के इस दिन भाई अपनी बहनों के घर तिलक करवाने और बहन के हाथों बने भोजन को करने के लिए पहुंचते हैं.

भाई दूज वैसे तो हिंदू धर्म का त्योहार है लेकिन देखा जाए तो यह हर उस इंसान का भी त्यौहार है जिसका कोई भाई है या बहन है. इस दिन भाई अपनी बहन की सुरक्षा या रक्षा का वादा करता है.कल पूरे देश में भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा. भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक महीने में मनाया जाता है. भाई दूज के दिन बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगा कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है.

शुभ मुहूर्त और पूजा की व‍िध‍ि

पंचांग कहता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि आती है तब बहनें भैयादूज का पावन त्योहार मनाती हैं जिसके बाद पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो जाता है. पंचाग के अनुसार 6 नंवबर को 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक पूजा का मुहूर्त बना हुआ है. यानि तिलक करने का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 11 मिनट तक रहेगा.  भाईयों की आरती उतारते वक्त चावल के दाने, सुपारी, पान के पत्ते, नारियल के फूल की माला, सिंदूर, फूल, चावल के दाने, दूब घास, और केला जरूर रखनी चाहिए. 

इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज

भाई दूज के इस त्योहार को यम द्वितीया भी कहते हैं जिसकी कहानी मृत्यु के देवता धर्मराज यमराज और उनकी बहन भगवान कृष्ण दासी यमुना जी से जुड़ता है. मान्यता है कि यमुना जी ने भाई दूज के दिन ही यमराज से मृत्यु के भय ये मुक्ति का वरदान पाया था और तभी से परंपरा है कि हर भाई भाई दूज के दिन अपनी बहन के घर जाता है और भोजन करता है जिससे बहन यमराज से अपने भाई की अखंड समृद्धि, सेहत और ऐश्वर्य का वर मांग लेती है.

कथाओं के मुताबिक यमराज को उनकी बहन यमुना ने कई बार मिलने के लिए बुलाया, लेकिन यम नहीं जा पाए. लेकिन जब वो एक दिन अपनी बहन से मिलने पहुंचे तो उनकी बहन बेहद खुश हुई और उन्होंनेयमराज को बड़े ही प्यार व आदर से भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना की. खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा – तब यमुना ने मांगा कि इस तरह ही आप हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया मेरे घर आया करो. वहीं इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा और उनके घर में भोजन करेगा व बहन से तिलक करवाएगा तो उसे यम व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा. यमराज ने उनका ये वरदान मान लिया औऱ तभी से त्योहार मनाया जाने लगा.

भव‍िष्य पुराण में है भाई दूज की कथा का ज‍िक्र

इसकी पौराणिक कथा भविष्य पुराण में मिलती है जिसमें भगवान सूर्य भी हैं. मृत्यु के देव यमराज भी हैं और भगवान सूर्य की पुत्री और भगवान यमराज की बहन यमुना भी हैं. लोक कथा कहती है कि यमराज और यमुना दोनों ही भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान हैं. यमुना काल देवता यमराज की लाडली बहन हैं. यमुना अपने प्रिय भाई यमराज को बार-बार अपने घर आने के लिए संदेश भेजती थी लेकिन हर बार यमुना को निराशा ही मिलती थी. व्यस्तता होने की वजह से यमराज यमुना के अनुरोध को स्नवीकार नहीं कर पाते थे. एक दिन यमुना का अनुरोध सफल हुआ और यमराज अपनी बहन यमुना के घर जा पहुंचे.

दरवाजे पर यमराज को देख कर यमुना हर्ष-विभोर हो उठीं. अपने घर में उसने भाई का जी भर कर आदर सत्कार किया. उन्हें मंगल-टीका लगाया तथा अपने हाथों से बना हुआ स्वादिष्ट भोजन कराया. यमराज बहन के स्नेह को देखकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने बहन से कुछ मांगने का आग्रह किया. यमुना वैसे तो भाई के आगमन से ही सब कुछ पा चुकी थीं. भाई के आग्रह पर बस एक ही वरदान मांगा था, और वह वरदान था- आज का दिन भाई-बहन के स्नेह का पर्व बनाकर सदा स्मरणीय रहे. उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया थी, तब से यह दिन भाई बहन के प्रेम का पर्व बन गया. 

इस दिन प्रत्येक बहन अपनी सामर्थ्य के अनुसार स्वादिष्ट भोजन बनाकर अपने भाई को खिलाती हैं और भाई उसे भेंट अर्पित करता है.
लोक धारणा है कि बहन के घर भोजन करने से भाई को यम बाधा नहीं सताती साथ ही उसकी कीर्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है. भाई दूज का त्योहार भाई बहन के प्यार का है. इसीलिए इस दिन भाई को बहन के घर भोजन पर जाना चाहिए. बहनों से किसी भी तरह का झगड़ा करने से बिल्कुल बचना चाहिए. हर भाई को बहन का सम्मान करना चाहिए साथ ही बहन को भाई को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराना चाहिए.