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Bhimashankar: 9 जनवरी 2026 से 3 महीनों के लिए बंद होगा भीमाशंकर मंदिर का कपाट, जानें क्या है वजह और भक्तों के लिए क्यों महत्व रखता है ये ज्योतिर्लिंग

नए साल में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद होने जा रहा है. इसके पीछे मंदिर ट्रास्ट और प्रशासन की कई योजनाएं हैं. इन योजनाओं के तहत मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शन प्रक्रिया को आसान बनाना और मंदिर के मरम्मत कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

अगर आप भी नए साल में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्लान बना रहे हैं तो जरा ठहरिए. दरअसल मंदिर परिसर का पट 9 जनवरी 2026 से अगले तीन महीनों तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहने वाले हैं. दरअसल पहले यह तारीख 1 जनवरी थी जो अब बदल कर 9 जनवरी कर दी गई है.  इस फैसले के पीछे प्रशासन की बड़ी तैयारी है. भीमाशंकर मंदिर को अस्थायी रूप से बंद करने का सबसे बड़ा कारण परिसर का पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण बताया गया है. सरकार और ट्रस्ट मिलकर मंदिर परिसर को और सुरक्षित, सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. पुराने ढांचे की मरम्मत, श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाना और भीड़ प्रबंधन को बेहतर करना इस योजना का हिस्सा है.

परिसर में होंगे यह बड़े बदलाव
तीन महीनों के दौरान मंदिर परिसर में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे. इसमें नई कतार व्यवस्था, आधुनिक सुरक्षा प्रणाली, बेहतर जल निकासी, साफ-सुथरे दर्शन मार्ग, डिजिटल सूचना बोर्ड और आपातकालीन सुविधाएं शामिल हैं. खास बात यह है कि मंदिर को 'हाई-टेक' बनाया जाएगा ताकि भविष्य में श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न उठानी पड़े.

मिशन 2027 में होने वाले कुंभ की है तैयारी
प्रशासन का लक्ष्य है कि 2027 में नासिक में होने वाले कुंभ मेले से पहले सभी विकास कार्य पूरे कर लिए जाएं. कुंभ के दौरान भीमाशंकर में श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए यह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, ताकि लाखों भक्तों को संभालना आसान हो और उन्हें उत्कृष्टता अनुभव मिल सके.

भीमाशंकर मंदिर का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बारहों ज्योतिर्लिंग में से यही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के वंशज राक्षस भीम का वध किया था. इसी कारण इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. यह मंदिर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला में घने जंगलों के बीच स्थित है, जो इसे आध्यात्मिक के साथ-साथ प्राकृतिक रूप से भी खास बनाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भीमाशंकर पहाड़ियों से भीमा नदी का उद्गम भी माना जाता है.

है आस्था का बड़ा केंद्र
श्रद्धालुओं का मानना है कि भीमाशंकर में दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है. शिवलिंग की स्वयंभू मान्यता, शांत वातावरण और प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर भक्तों को विशेष आध्यात्मिक अनुभव देता है.

 

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