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Gayaji Pitru Paksha 2025: गयाजी के पितृ पक्ष मेले में बिक रही फल्गु नदी की बालू, जानिए पिंडदान करने आए तीर्थयात्रियों को क्यों नहीं मिल रही नदी की बालू?

बिहार के गयाजी में पितृ पक्ष के दौरान बालू के पिंडदान किया जाते हैं. इस बार तीर्थ यात्रियों को गयाजी में फल्गु नदी की बालू खरीदनी पड़ रही है. गया जी में पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं को डैम की वजह से बालू नहीं मिल पा रही है. गया जी में तीर्थयात्री पिंडदान करने के लिए मेले से बालू खरीद रहे हैं.

Gayaji Pitru Paksha 2025 (Photo Credit: PTI) Gayaji Pitru Paksha 2025 (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • गयाजी में पिंडदान करने का पौराणिक महत्व

  • गयाजी में बालू के पिंडदान होते हैं

देश भर में पितृ पक्ष की शुरूआत हो चुकी है. सनातन धर्म में पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण और पवित्र काल है. इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बिहार के गयाजी में पिंडदान के लिए जाते हैं. गयाजी में इस बार पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं को फल्गु नदी की बालू नहीं मिल रही है. तीर्थयात्री पिंडदान करने के लिए दुकान से बालू खरीद रहे हैं.

दुकानों पर मिल रही बालू

गयाजी के फल्गु नदी के तट पर स्थित सीताकुंड वेदी पर इस बार पितृ पक्ष मेला के दौरान पिंडदान करने आये तीर्थयात्रियों को फल्गु नदी की बालू नहीं मिल रही है. फल्गु नदी की बालू नहीं मिलने पर पिंडदानियों को इस बार दुकानों से बालू खरीदने पड़ रही है. श्रद्धालु सीताकुंड के पास दुकानों से फल्गु नदी की बालू खरीद कर पिंडदान कर रहे हैं.

आपको बता दें कि फल्गु नदी पर रबर डैम की वजह से फल्गु नदी में पूरा पानी भरा हुआ है. इस वजह से तीर्थयात्री और पिंडदानियों को फल्गु नदी से बालू निकालने में बहुत तरह की परेशानी हो रही है. तीर्थयात्री और पिंडदानी मज़बूरी में सीताकुंड वेदी के पास स्तिथ दुकानों से फल्गु नदी का बालू खरीद कर सीताकुंड वेदी पर बालू का पिंडदान कर रहे है. गया में पिंडदान करने का बेहद महत्व है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में तीर्थयात्री हर साल यहां पिंडदान करने आते हैं. गयाजी में पिंडदान का उल्लेख पौराणिक धार्मिक ग्रन्थों में भी है.

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क्यों किया जाता है बालू का पिंडदान?

माना जाता है कि राम भगवान माता सीता के साथ गयाजी के सीताकुंड पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने आये थे. पिंडदान की सामग्री लेकर चले तब राजा दशरथ का हाथ फल्गु नदी से निकला था. उन्होंने पिंड प्रदान मांगा था. तब माता सीता ने फल्गु नदी के बालू से ही पिंड बनाकर राजा दशरथ का पिंडदान किया था. तब से गया जी के सीताकुंड वेदी पर बालू का पिंड प्रदान करने की परंपरा चलती आ रही है. इस सीताकुंड वेदी पर सभी तीर्थयात्री और पिंडदानी बालू का ही पिंडदान करते है.  फल्गु नदी में रबर डैम बन गया है. इस वजह से फल्गु नदी की बालू नहीं मिल रही है. इसके चलते देश -विदेश से आये पिंडदानी तीर्थयात्रियों को दुकानों से बालू खरीद कर सीताकुंड वेदी पर बालू का पिंडदान करना पड़ रहा है. 

सीताकुंड वेदी पर फल्गु नदी का बालू बेच रहे लोगों ने बताया कि हम लोग यहां पर बालू बेच रहे हैं. यह बालू सीताकुंड वेदी पर पिंडदान करने के लिए लोग लेते हैं. सीताकुंड पर बालू का पिंडदान होता है. सीता माता ने यहां पर बालू का पिंडदान किया था इसलिए यहां बालू का पिंडदान होता है. लोगों ने बताया कि यहां पहले बालू नहीं बिकता था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फल्गु नदी पर डैम बना दिया है. इस वजह से नदी में अभी पानी है और तीर्थयात्री नदी से बालू नहीं निकाल पा रहे हैं तो हम लोग नदी से बालू निकाल कर बेच रहे है. 10 रुपए में बालू बेचते है और दिन भर में 300 से 500 रुपए की बालू बेच देते है.

गया में पितृ पक्ष
गया में पितृ पक्ष

कितने रुपए में बिक रही बालू?

गयाजी के सीताकुंड वेदी पर पिंडदान करने आये तीर्थयात्रियों ने बताया कि हम लोग गयाजी में पिंडदान करने के लिए आये हुए हैं. अभी सीताकुंड में पिंडदान करने के लिए आए हुए हैं और पहले फल्गु नदी सूखा हुआ रहता था. अब फल्गु नदी में पानी भरा हुआ है इसलिए नदी से बालू नहीं निकाल पाएंगे इसलिए पिंडदान करने के लिए बालू खरीद रहे है. लोगों ने बताया कि सीताकुंड वेदी पर बालू का पिंडदान होता है तो हम लोगों को पिंडदान करने के लिए बालू खरीदना पड़ रहा है. बालू यहां पर दस रुपए में बिक रही है जो हम लोग ले रहे हैं. यहां पर जिला प्रशासन को बालू की व्यवस्था करना चाहिए थी मगर नहीं किया गया है तो लोग जैसे तैसे बालू खरीद कर पिंडदान कर रहे हैं.

सीताकुंड पर पिंडदान करा रहे आचार्य रवि कुमार ने बताया कि यह सीताकुंड स्थल है जहां माता सीता ने भगवान राम के साथ माता सीता पिंडदान करने के लिए आये थे. यहां पर माता सीता ने राजा दशरथ का बालू का पिंड बनाकर पिंडदान किया है. उस बालू के पिंड को राजा दशरथ ने स्वीकार कर मोक्ष की पर्पटी हुई है. इस वजह से सीताकुंड वेदी पर आने वाले पिंडदानी बालू का पिंडदान करते हैं.

(गया से पंकज कुमार की रिपोर्ट)