
दिवाली के बाद मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है और प्रकृति की पूजा का संदेश देता है. गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर शुरू हुआ था. इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा की जाती है. गाय के गोबर को पवित्र माना जाता है और इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व 22 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा.
भगवान श्रीकृष्ण और इंद्रदेव की कथा
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और बृजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था. इसके बाद बृजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की और भोग अर्पित किए. तभी से हर साल इस दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर 2025 की शाम 7:30 बजे से रात 9:00 बजे तक है. इस समय श्रीकृष्ण की आरती करने से मानसिक और शारीरिक समस्याओं में सुधार होता है.
अन्नकूट पर्व: 56 भोग और नए अनाज का महत्व
गोवर्धन पूजा को कई जगहों पर अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान को नए अनाज से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है. 56 भोग, जिसमें खीर, पूड़ी, माखन, मिश्री, सब्जियां, कढ़ी, चावल, रबड़ी, पेड़े आदि शामिल होते हैं, भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं. अन्नकूट पूजा करने से लंबी आयु और आरोग्य का वरदान मिलता है.
पशुओं की पूजा और परिक्रमा
अन्नकूट पर्व पर गाय, बैल जैसे उपयोगी पशुओं को स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है. उन्हें धूप, चंदन और फूलमाला पहनाई जाती है और मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है. इसके बाद परिक्रमा की जाती है. यह त्योहार प्रकृति और पशुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का प्रतीक है. गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व भारतीय संस्कृति में प्रकृति और भगवान श्रीकृष्ण की महिमा को दर्शाते हैं. यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्रकृति और पशुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है.