 Pavagarh Temple (Photo: Gujarat Tourism Website)
 Pavagarh Temple (Photo: Gujarat Tourism Website)  Pavagarh Temple (Photo: Gujarat Tourism Website)
 Pavagarh Temple (Photo: Gujarat Tourism Website) हिन्दू धर्म के यात्राधामो में शक्तिपीठों का विशेष महत्व माना जाता है. गुजरात मे वडोदरा से 55 किमी दूरी पर स्थित पंचमहल का प्रसिद्ध यात्राधाम पावागढ़ भी भारत के 51 शक्तिपीठ में शामिल हैं. शक्तिपीठ पावागढ़ मां महाकाली का सबसे बड़ा धाम है. पावागढ़ हिन्दू, मुस्लिम, व जैन धर्मो की आस्था का प्रतीक है. यहां इन सभी धर्मों के स्थापत्य व अवशेष पाए जाते है. इसीलिए पावागढ़ धार्मिक के साथ साथ ऐतिहासिक स्थान के तौर पर भी काफी मशहूर है. पावागढ़ वर्ल्ड हेरिटेज भी है जिसे देखने और अपनी मनोकामना पुर्ण करने देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक यहां पर लाखों की तादाद में आते हैं.
क्या हैं शक्तिपीठ 
सनातनी संस्कृति में शक्तिपीठ उन पूजा स्थलों को कहा जाता है, जहां माता सती के शरीर के विच्छेदन करने के बाद उनके अंग गिरे थे. पुराणों के अनुसार पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित हुई सती ने योगबल से अपने प्राण त्याग दिए थे. माता सती के मृत्यु से व्यथित हुए भगवान महादेव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में घूम रहे थे, जिससे तीन लोक में मानो भूचाल मचा था. ऐसे में, सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर का विच्छेदन कर दिया। शरीर विच्छेदन के बाद सती मां के शरीर के टुकड़े 51 जगहों पर गिरे. वे 51 स्थान शक्तिपीठ कहलाए.
ऐसा ही एक शक्तिपीठ है गुजरात राज्य के पंचमहल जिले में, जिसे पावागढ़ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि इसी पावागढ़ के पर्वत पर माता सती के दाहिने पैर की उंगली गिरी थी जहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ. पावागढ़ के इस पर्वत पर मातारानी महाकाली का सदियों पुराना मंदिर बना है. यह मंदिर पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से राज्य के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है.
पावागढ़ का ऐतिहासिक महत्व 
पावागढ़ शक्तिपीठ होने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक नगरी भी है. प्राचीन गुजरात की राजधानी व आर्थिक लेनदेन का सबसे बड़ा केंद्र पावागढ के चापानेर को माना जाता था. आज भी यहां पर पाए जाने वाले अवशेष इस बात की पुष्टि करते है. चापानेर के पौराणिक स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी घोषित किया गया है. यहां पर जामी मस्जिद, एक मीनार, सात कमान, और कोठार ऐसे स्थापत्य है जो वर्ल्ड हेरिटेज में शुमार हैं. 
प्रसिद्ध है महाकाली का मंदिर 
पावागढ़ मंदिर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, पावागढ़ हिल की कुल ऊंचाई 822 मीटर है. मानसून के समय में यहां खूबसूरती छा जाती है.  यहां मां काली का प्रसिद्ध मंदिर करीब 3,500 फ़ीट की ऊंचाई पर बना है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था. मंदिर के शिखर को लगभग 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था, लेकिन पुनर्विकास योजना के तहत इसे बहाल कर दिया गया है. 
यहां तक पहुंचने के लिए करीब 2,000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं या फिर उड़न खटोला की केबल कार का इस्तेमाल किया जा सकता है. रोपवे की लंबाई 763 मीटर है और सभी केबिन बंद रहते हैं. एक केबिन में छह लोग बैठ सकते हैं. इसके अलावा, पहाड़ खोदकर मंदिर तक 210 फ़ीट ऊंची लिफ़्ट भी लगाई गई है, जिससे श्रद्धालु महज़ कुछ ही मिनटों में मंदिर पहुंच सकते हैं. रोप-वे से उतरने के बाद मातारानी के भक्तों को महज 250 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और फिर भक्त मातारानी महाकाली के मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचते हैं.
पावागढ़ में दक्षिणी मुखी कालीमाता की मूर्ति है, जिसकी दक्षिण रीति यानी कि तांत्रिक पूजा की जाती है. यहां हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है, खासतौर पर नवरात्री के पर्व में देश-दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु मातारानी के चरण स्पर्श करने पहुंच जाते हैं. मातारानी के दरबार मे आने वाले हर किसी की अपनी मुराद पूरी होती है.
(जयेन्द्र भोई की रिपोर्ट)