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Hanuman Ji Ashtasiddhi: गरिमा... लगिमा सहित हनुमान जी को प्राप्त हैं अष्ट सिद्धियां, रावण की पूरी सेना को बांध दिया था अपनी पूंछ से 

Ashtasiddhi: हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां प्राप्त हैं. ये सिद्धियां न केवल उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे उन्होंने अपने ज्ञान और शक्ति का उपयोग धर्म की रक्षा के लिए किया.

Hanuman ji Hanuman ji

रामायण के युद्ध में रावण की अमर सेना को हराने के लिए हनुमान जी ने अपनी पूंछ का अद्भुत प्रयोग किया था. उन्होंने अपनी पूंछ को इतना बड़ा कर लिया था कि रावण की पूरी सेना को बांध दिया. हनुमान जी ने लड़ाई नहीं की, बल्कि अपनी पूंछ से सेना को गुरुत्वाकर्षण सीमा पार कर दिया. यह घटना दर्शाती है कि हनुमान जी की पूंछ केवल एक शारीरिक अंग नहीं, बल्कि उनकी दिव्य शक्ति का प्रतीक है.

अष्ट सिद्धियों का रहस्य
हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां प्राप्त हैं. इनमें महिमा, गरिमा, अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं. गरिमा सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी ने अपने शरीर का भार बढ़ाया, जबकि लगिमा सिद्धि से उन्होंने अपना शरीर हल्का कर लिया. प्राप्ति सिद्धि के प्रयोग से उन्होंने पशु-पक्षियों की भाषा को समझा.

हनुमान जी की छठवीं सिद्धि प्राकाम्य
प्राकाम्य सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी ने चिरकालता प्राप्त की. इस सिद्धि के कारण वे सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में भी उपस्थित रहे. गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा, चारों युगों में तुम्हारा प्रताप है. यह सिद्धि दर्शाती है कि हनुमान जी समय और स्थान की सीमाओं से परे हैं.

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रामायण के युद्ध में हनुमान जी ने किया था सद्धियों का इस्तेमाल 
हनुमान जी ने रावण की सेना को हराने के लिए अपनी पूंछ और सिद्धियों का उपयोग किया. हनुमान जी ने लड़ाई नहीं की, बल्कि अपनी पूंछ और दिव्य शक्तियों से युद्ध का रुख बदल दिया. रावण ने हनुमान जी की पूंछ को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा.

हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां 
हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां न केवल उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे उन्होंने अपने ज्ञान और शक्ति का उपयोग धर्म की रक्षा के लिए किया अणिमा सिद्धि से शरीर को सूक्ष्म से भी सूक्ष्म, अणु के बराबर छोटा कर लेने की शक्ति है. महिमा सिद्धि से शरीर का आकार अत्यधिक बड़ा और विशाल कर लेने की शक्ति, गरिमा सिद्धि से शरीर को अत्यधिक भारी बना देने की क्षमता, लघिमा से शरीर को भार रहित करने की क्षमता, प्राप्ति से किसी भी वस्तु को तुरंत प्राप्त करने या कहीं भी तत्काल पहुंच जाने की शक्ति, प्राकाम्य से मनचाही वस्तु को प्राप्त करने या कोई भी इच्छा पूरी करने की क्षमता, ईशित्व से प्रत्येक वस्तु और प्राणी पर पूर्ण अधिकार या नियंत्रण रखने की क्षमता, वशित्व सिद्धि से किसी भी प्राणी या व्यक्ति को अपने वश में करने और अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण रखने की क्षमता की शक्ति मिलती है. गरिमा सिद्धि से शरीर भारी होता है, लघिमा से हल्का, जिसका प्रयोग हनुमान जी ने अशोक वाटिका में किया. प्राप्ति सिद्धि से पशु-पक्षियों की भाषा समझी जाती है, जिसका प्रयोग पाताल लोक में हुआ. ईशित्व सिद्धि से देवताओं को वश में किया जाता है और वशित्व सिद्धि से दूसरों को वश में किया जा सकता है, जिसका प्रयोग हनुमान जी ने राम जी को वश में करने में किया.