
उत्तर भारत का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला का आयोजन इस साल 03 से 08 नवंबर 2022 तक किया जा रहा है. आज अंतरराष्ट्रीय रेणुका जी मेले का उद्घाटन मुख्य सचिव आरडी धीमान करेंगे. हालांकि, पारंपरिक रूप से मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री करते हैं, लेकिन आदर्श आचार संहिता के चलते इस बार मुख्य सचिव इसका उद्घाटन करेंगे.
आपको बता दें कि यह मेला दशमी के दिन भगवान परशुराम और उनकी मां देवी रेणुका के मिलन का प्रतीक है. हर साल देवप्रबोधिनी एकादशी पर, रेणुका झील के तट पर पारंपरिक रेणुकाजी मेले का आयोजन किया जाता है. जहाँ लाखों भक्त जुटते हैं. वे 'प्रबोधिनी एकादशी' पर धार्मिक रेणुका झील में पवित्र डुबकी लगाते हैं.
दिवाली के 10 दिन बाद लगता है मेला
शिवालिक पर्वतमाला की रोलिंग पहाड़ियों में बसी रेणुका जी, अपनी पवित्र झील के साथ, जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 40 किमी दूर एक शांत दर्शनीय स्थल है. यहां देवी रेणुका जी की झील के किनारे भगवान परशुराम का मंदिर है.
अंतर्राष्ट्रीय रेणुका जी मेला हर साल नवंबर के पहले पखवाड़े (दीपावली के 10 दिनों के बाद) में मनाया जाता है. यह पांच दिवसीय मेला है. यहां हर साल हजारों भक्त अपने प्रिय देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं.
निकाली जाती है भगवान परशुराम की पालकी
मेले के पहले दिन परशुराम की मूर्ति को चांदी की सजी हुई पालकी में जमू गांव से गिरि नदी के किनारे ले जाया जाता है. उनके आने से पहले अन्य स्थानीय देवता मौके पर पहुंच जाते हैं, और फिर वे एक साथ मेले के स्थल पर जाते हैं और फिर उत्सव जारी रहता है. रेणुका जी मेले में हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं.
मान्यता है कि मेले के समय अपनी मां से मिलने के लिए परशुराम झील के दर्शन करते हैं. झीलों के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए रेणुका जी और परशुराम की मूर्तियों को जुलूस में निकाला जाता है. रेणुका जी हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है और मेला क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को देखने का एक अच्छा अवसर है.
धार्मिक महत्व के अलावा सांस्कृतिक महत्व भी
इस मेले का महत्व सांस्कृतिक रूप से भी है. मेले में बहुत की गतिविधियों रका आयोजन किया जाता है. इस बार यह दो साल के अंतराल के बाद मनाया जा रहा था. बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव 3 नवंबर को दोपहर 1.00 बजे ददाहू पहुंचेंगे और वह भगवान परशुराम की शोभा यात्रा शुरू करेंगे.
दोपहर में विभिन्न खेल आयोजनों का उद्घाटन किया जाएगा और फिर शाम छह बजे पारंपरिक मेले का उद्घाटन होगा. मेले के सभी छह दिनों में खेल आयोजन होंगे. दूसरे दिन कबड्डी प्रतियोगिता होगी, जिसमें पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध खिलाड़ी भाग लेंगे.
तीसरे दिन पहली बार महिला कबड्डी प्रतियोगिता होगी. स्थानीय सांस्कृतिक कलाकारों के साथ-साथ राज्य भर के कलाकारों को सांस्कृतिक रातों के दौरान प्रदर्शन करने के लिए चुना गया है, जिनकी एक अलग थीम होगी. राज्य पुलिस का बैंड 'हार्मनी ऑफ द पाइन्स' पहली सांस्कृतिक रात को परफॉर्म करेगा. पहाड़ी, पंजाबी आदि सहित 60 कलाकार मेले में परफॉर्म करेंगे.