Do You Know: हिन्दू धर्म में व्रत क्यों रखा जाता है? जानिए इसका महत्व और धार्मिक मान्यता हिन्दू धर्म में क्यों रखा जाता है उपवास?
हिन्दू धर्म में हर पर्व का विशेष महत्व होता है. हर त्योहार में श्रद्धालु व्रत जरूर रखते हैं. व्रत रखने के अलग-अलग नियम होते हैं. अगर सही नियम से उपवास न रखा जाए तो व्रती को फल नहीं मिलता है. हिन्दू धर्म में व्रत रखने की धार्मिक मान्यता क्या है? आइए इस बारे में जानते हैं.
व्रत के नियम (Photo Credit: Getty) - नई दिल्ली,
- 15 सितंबर 2025,
- (Updated 15 सितंबर 2025, 7:06 PM IST)
हाइलाइट्स
हिन्दू धर्म में उपवास का काफी महत्व
हिंदू धर्म में व्रत (Vrat) का विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म के सभी प्रमुख त्योहारों और व्रत में उपवास रखने की परंपरा होती है. ऐसा माना जाता है कि धार्मिक त्योहारों में व्रत रखने से भगवान अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. साथ ही इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. यह सिर्फ धार्मिक क्रिया नहीं है बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि, आत्मसंयम और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है. व्रत का अर्थ है संकल्प, यानी किसी विशेष उद्देश्य या देवी-देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए नियमपूर्वक उपवास करना और दिन भर कुछ नियमों का पालन करना. हिन्दू धर्म में व्रत रखने की धार्मिक मान्यता क्या है? आइए इस बारे में जानते हैं.
क्यों रखा जाता है व्रत?
- हिंदू शास्त्रों में व्रत को भक्ति और तपस्या का महत्वपूर्ण साधन माना गया है. व्रत के दौरान भक्त अपने मन, वाणी और कर्म को नियंत्रित करता है.
- माना जाता है कि व्रत देवताओं की आराधना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक जरिया है. इससे भगवान की विशेष कृपा मिलती है.
- मान्यता है कि व्रत रखने से पाप दूर हो जाते हैं और अच्छे कर्मों का संचय होता है. व्रत एकादशी, प्रदोष व्रत, करवा चौथ, वट सावित्री व्रत आदि विशेष अवसरों पर रखे जाते हैं. शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि व्रतं हि धर्मस्य मूलं यानी व्रत धर्म का मूल है.
उपवास का महत्व क्या है?
- व्रत रखने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है. जब इंसान कुछ समय के लिए भोजन और भोग-विलास से दूर रहता है तो उसका मन ईश्वर की ओर केंद्रित होता है.
- व्रत रखने से आत्मनियंत्रण का अभ्यास है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है. व्रत के दौरान मंत्र-जप, ध्यान, और पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
- व्रत के समय हल्का भोजन या उपवास करने से शरीर में जमा जहरीली चीजें बाहर निकल जाती हैं. लगातार भोजन करने से पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ता है. उपवास रखने से इसे आराम मिलता है.
- व्रत में ध्यान और मंत्र-जप से तनाव कम होता है, मन शांत होता है. भूख को नियंत्रित करना मन और शरीर को मजबूत बनाता है.
कितने तरह के होते हैं व्रत?
- हिंदू धर्म में व्रत कई प्रकार के होते हैं. उपवास व्रत, एकादशी व्रत, महाशिवरात्रि व्रत, नियम व्रत, फलाहार व्रत और नवरात्रि व्रत.
- उपवास व्रत में पूरे दिन या आधे दिन भोजन नहीं किया जाता है. जैसे- एकादशी व्रत और महाशिवरात्रि व्रत है.
- नियम व्रत में विशेष नियमों का पालन किया जाता है जैसे सात्विक भोजन, ब्रह्मचर्य आदि. नवरात्रि व्रत का इसका अच्छा उदाहरण है.
- फलाहार व्रत में सिर्फ फल, दूध या हल्का भोजन किया जाता है. जैसे- करवा चौथ व्रत. संकल्प व्रत में किसी विशेष कार्य या मनोकामना की पूर्ति के लिए संकल्प लेकर व्रत रखना होता है, जैसे- सत्यनारायण व्रत.
उपवास से क्या होता है लाभ?
- व्रत रखने से कई सारे लाभ होते हैं, आध्यात्मिक लाभ, मानसिक लाभ, शारीरिक लाभ और सामाजिक लाभ.
- उपवास से ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे मन में शांति और सकारात्मकता आएगी. शरीर स्वस्थ और ऊर्जा आएगी.
- व्रत और पूजा से परिवार और समाज में एकता और सद्भावना बढ़ती है. व्रत सिर्फ खाना न करने का नाम नहीं है बल्कि मन, वाणी और कर्म की शुद्धि भी जरूरी है.
- व्रत के दौरान झूठ, क्रोध, लोभ और हिंसा से दूर रहना चाहिए. माना जाता है कि व्रत के दौरान की गई प्रार्थना और पूजा कई गुना फल देती है.
व्रत रखने के नियम क्या हैं?
- व्रत की शुरुआत संकल्प से होती है. संकल्प का अर्थ है मन में यह दृढ़ निश्चय करना कि आप पूरे दिन व्रत का पालन करेंगे.
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. मन, वाणी और शरीर को पवित्र बनाए रखना आवश्यक है. काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे नकारात्मक विचारों से बचें.
- व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. साफ और सात्विक वस्त्र पहनें. व्रत में जिस देवी-देवता की पूजा की जा रही है, उनका ध्यान और पूजा करें.
- व्रत के दौरान पूजा में घी का दीपक, धूप, फूल, फल और पंचामृत का इस्तेमाल करें. व्रत के दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
- व्रत में प्याज, लहसुन, मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन से पूरी तरह से दूर रहें. कई व्रतों में सिर्फ फल, दूध, दही या साबूदाने का सेवन किया जाता है.
हिंदू धर्म में व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं है बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने का साधन है. व्रत रखने से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है. इससे वह मानसिक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहता है. यह आत्मसंयम, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम है जो जीवन को संतुलित और पवित्र बनाता है.
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