Indreshwar Mahadev Temple
Indreshwar Mahadev Temple भारत में अनेकों ऐसे मंदिर हैं जिनपर शहरों और कई जगहों के नाम पड़े हैं. इन मंदिरों का अपना अलग इतिहास है और अपना महत्व है. ऐसे ही इंदौर शहर का नाम भी एक ऐसे मंदिर पर पड़ा है जो 4000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इंदौर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक इंद्रेश्वर महादेव के नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा है.
पंढरीनाथ थाने के पीछे स्थित इस मंदिर में आज भी हजारों श्रद्धालु आते है और दर्शन करके जाते हैं. बताया जाता है साढ़े 4 हजार साल पुराने इस मंदिर के नाम पर ही शहर का नाम पहले इंदूर पड़ा और फिर बाद में बदलकर इंदौर हो गया.
भगवान इंद्र ने की थी यहां आकर तपस्या
मंदिर के प्राचीन इतिहास की बात करें तो इस मंदिर में महादेव की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी. माना जाता है कि भगवान इंद्र को जब सफेद दाग की बीमारी हुई तो उन्होंने यहां तपस्या की थी. इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसे कान्ह नदी से निकलवाकर प्रतिस्थापित किया गया था. बाद में तुकोजीराव प्रथम ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया.
मंदिर को लेकर हैं अनोखी मान्यताएं
इस मंदिर के तलघर में इंद्रेश्वर महादेव विराजमान हैं. इस मंदिर को लेकर ये मान्यता है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को जिस भी भूमि पर डालकर बोरिंग या ट्यूबवेल कराया जाता है वहां पानी निकल जाता है. इसी वजह से कई साल तक लोग बोरिंग खोदने से पहले यहां से जल ले जाया करते थे. एक मान्यता यह भी है कि जब-जब शहर में पानी की कमी पड़ी है तब-तब लोगों ने यहां आकर जल चढ़ाया है और उससे यहां पानी की किल्ल्त पूरी हो गयी.
इसके लिए अभिषेक के बाद भगवान को जलमग्न कर दिया जाता है, और इसीलिए इस मंदिर का नाम इंदेद्रश्वर रखा गया है. आपको बता दें, इस इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र शिव महापुराण में भी मिलता है.
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