
शिवभक्तों के लिए खुशखबरी है कि छह साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है. इस यात्रा का शुभारंभ 15 जून को हुआ, जिसमें 750 यात्रियों को चुना गया. इस यात्रा में शामिल होने वाले पहले जत्थे ने कैलाश पर्वत की परिक्रमा पूरी कर ली है.
कैलाश पर्वत को भगवान शिव और मां पार्वती का निवास स्थान माना जाता है. यह पर्वत पारहिमालय पर्वतमाला का हिस्सा है और समुद्र तल से करीब 21,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से मानसरोवर झील और राक्षस ताल झील भी दिखाई देती हैं.
मानसरोवर झील को ब्रह्मा के मन से बना हुआ माना जाता है और इसे पवित्र जल का स्रोत माना जाता है. यहां से सरयू, सतलुज, सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियां निकलती हैं. इस झील का पानी मीठा होता है और इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे मुश्किल तीर्थ यात्राओं में से एक है. समुद्र तल से 21,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान तक पहुंचने के लिए उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम के नाथुला से रास्ते हैं. इस यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों को लॉटरी के माध्यम से चुना जाता है.
इस साल यात्रा में शामिल हुए शिवभक्तों ने अपने अनुभव साझा किए. एक यात्री ने कहा, "जहां भोले हैं, वहां पर सब कुछ आदमी भूल जाता है." एक अन्य यात्री ने कहा, "मुझे बहुत अच्छा लगा भोलेनाथ की कृपा जीस पे है उसको किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं है." विदेशी भक्तों ने भी इस यात्रा में हिस्सा लिया.
कैलाश पर्वत को सनातन धर्म में महादेव का निवास स्थान माना गया है. इसके पास ही मानसरोवर झील है, जिसे क्षीर सागर कहा गया है. यह स्थान जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लिए भी पवित्र तीर्थस्थल है. कैलाश पर्वत को देवों के देव महादेव का निवास स्थान माना गया है. यहां के दर्शन करना एक अद्वितीय अनुभव है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. यह स्थान भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है.