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Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू! चीन में गूंजेगा हर-हर महादेव, भक्तों में उत्साह

भारत की कूटनीति रंग लाई और आखिरकार चीन भारतीय श्रद्धालुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण इस यात्रा को फिर से शुरू करने पर राजी हो गया.

Kailash Mansarovar Yatra Kailash Mansarovar Yatra

भगवान शिव के अनोखे धाम कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ हो चुका है. भारत के श्रद्धालु कई साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से चीन में हर-हर महादेव की जयकार करने जा रहे हैं. क्योंकि कोरोना संकट और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ झड़प के विवादों के चलते बीते वर्षों में इस यात्रा पर ब्रेक लग गया था. लेकिन भारत की कूटनीति रंग लाई और आखिरकार चीन भारतीय श्रद्धालुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण इस यात्रा को फिर से शुरू करने पर राजी हो गया. 

पहला जत्था हुआ रवाना
इस साल से भारतीयों को एक बार फिर से कैलाश मानसरोवर की पवित्र तीर्थयात्रा करने का पावन अवसर मिलने जा रहा है. जिसके लिए पहला जत्था दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद से रवाना भी हुआ और सिक्किम के गंगटोक पहुंचा. जहां से अब चीन में कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू होने वाली है. हिंदू धर्म को मानने वाले श्रद्धालुओं के लिए काफी भावुक कर देने वाला पल है कि उन्हें आखिरकार देवाधिदेव महादेव के उस धाम के दर्शन करने का अवसर मिल रहा है, जिसकी आकांक्षा हमेशा मन में रहती है. तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था 20 जून को सिक्किम से चीन जाएगा और फिर कैलाश मानसरोवर पहुंचेगा.

श्रद्धालुओं का उत्साह
जून से अगस्त महीने तक चलने वाली इस यात्रा को लेकर तीर्थ यात्रियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. क्योंकि लंबे इंतजार के बाद ये यात्रा शुरू हुई और भारतीय श्रद्धालुओं को भगवान भोले भंडारी के निवास स्थान और उनके पावन धाम कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन करने का अवसर मिलेगा. देवाधिदेव महादेव के पावन धाम कैलाश मानसरोवर के साक्षात दर्शन का अवसर एक बार फिर से आने जा रहा है. पांच साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर की तीर्थ यात्रा की श्रद्धालुओं की मनोकामना अब फिर से पूरी होने जा रही है.

यात्रा की तैयारी
15 जून को दिल्ली से रवाना होकर कैलाश मानसरोवर के तीर्थयात्रियों का पहला जत्था सिक्किम के गंगटोक पहुंचा. वहां आईटीबीपी की ओर से तीर्थयात्रियों का जोरदार स्वागत किया गया और उन्हें हर तरह की सुविधाओं का भरोसा दिया. आईटीबीपी के एक अधिकारी ने कहा, 'जो भी सरकार ने हमको जबावदारी दी है इस रूप से यात्रा कराने के लिए जिसमें यात्रियों की सुरक्षा से लेकर उनकी सुविधा उपलब्ध करानी है, हम लोगों ने अपनी पूरी तैयारी कर रखी है और सारी तैयारियों का हमने जायजा भी लिया है. हम बहुत उत्सुक हैं सारे यात्रियों के स्वागत करने के लिए.'

रविवार को गाजियाबाद के कैलाश मानसरोवर भवन से हर-हर महादेव की जयघोष के साथ धूमधाम से इस यात्रा के लिए पहले जत्थे को रवाना किया गया. इस जत्थे में दो अधिकारियों सहित 39 तीर्थ यात्री शामिल हैं. पहले भी विदेश मंत्रालय की तरफ से कैलाश मानसरोवर यात्रा हर साल जून से सितंबर के बीच आयोजित करवाई जाती थी. इस तीर्थ यात्रा में आमतौर पर दो से तीन हफ्ते लगते हैं. ये यात्रा अब तक तीन रास्तों से संपन्न होती रही है. पहला मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेक दर्रा से होकर जाता है. दूसरा मार्ग सिक्किम के नथुला दर्रे से होकर जाता है. तीसरा मार्ग नेपाल की राजधानी काठमांडू से जाता है. 

चीन की सहमति
चीन की सीमा में स्थित होने के कारण कैलाश मानसरोवर की यात्रा आसान नहीं है। इसके लिए खासतौर से चीन की सहमति जरूरी होती है। दुर्गम होने के अलावा बीते वर्षों में भारत और चीन के कूटनीतिक रिश्तों में उतारचढ़ाव और फिर कोरोना के कारण भी इस यात्रा में दिक्कतें आईं। सुधरे संबंधों के बाद चीन ने इस साल जनवरी में इस यात्रा को मंजूरी दी थी। इसके बाद अब इस साल ये यात्रा शुरू हुई है। हालांकि इस बार अब तक कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो ही रूट तय किए गए हैं, जिसमें एक उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर है और दूसरा सिक्किम के नाथूला दर्रे से होकर है। लिपुलेख मार्ग से इस साल कुल पांच जत्थों में अधिकतम 50-50 यात्रियों का दल रवाना होगा यानी लिपुलेख से होकर 250 तीर्थ यात्री कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे. वहीं नत्थूला मार्ग से 10 जत्थों में 50-50 श्रद्धालु यात्रा करेंगे. यानी नथूला रूट से करीब 500 तीर्थ यात्री इस बार कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे. इन दोनों रास्तों से होकर इस तीर्थ यात्रा के लिए सुविधाएं आईटीबीपी की ओर से मुहैया कराई जाती हैं.

यात्रा का कार्यक्रम
अभी तक तय कार्यक्रम के अनुसार नथूला होकर जा रहे कैलाश मानसरोवर के तीर्थ यात्रियों के पहले जत्थे को आबोहवा में ढलने के लिए कुछ समय सिक्किम में बिताने होंगे. इसके बाद 20 तारीख को वह नाथूला पास के जरिए सरहद पार करके चीन में दाखिल होंगे और फिर चीन की ओर से निर्धारित रूप से कैलाश मानसरोवर के लिए रवाना होंगे. यह तीर्थ यात्रा अगस्त के अंत तक चलेगी. बताया जा रहा है कि तीर्थयात्रियों का अंतिम दल 22 अगस्त को चीन से भारत लौटेगा.