
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा. करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस बार करवा चौथ पर 200 साल बाद सिद्धि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सिद्धि योग किसी भी कार्य में सफलता और सिद्धि दिलाने वाला माना जाता है. शिववास योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस योग में की गई पूजा से वैवाहिक जीवन के सभी संकट दूर होते हैं. कुंवारी कन्याएं भी व्रत रख सकती हैं, लेकिन उन्हें सुहाग की वस्तुएं दान करने से बचना चाहिए.
सर्गी का महत्व और समय
सर्गी, करवा चौथ व्रत की शुरुआत का अहम हिस्सा है. इसे सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में ग्रहण किया जाता है. सास द्वारा दी गई सर्गी में 16 शृंगार की सामग्री, ड्राई फ्रूट्स, फल, मिठाई और दूध से बनी चीजें शामिल होती हैं. सर्गी का समय 10 अक्टूबर को सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे तक है. यह शरीर को दिनभर निर्जला व्रत करने की शक्ति प्रदान करता है. करवा चौथ की कथा का समय शाम 5:16 से 7:11 तक है. महिलाएं दीपक जलाकर थाली को सात बार घुमाती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं. छलनी से चांद को देखती हैं. इसके बाद उसी छलनी से पति को देखती हैं. पूजा के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करने की परंपरा है.
16 शृंगार का महत्व
करवा चौथ पर 16 शृंगार का विशेष महत्व है. यह न केवल सुहागिन महिलाओं के सौंदर्य को बढ़ाता है, बल्कि उनके शरीर के चक्रों को भी सक्रिय करता है. इसमें सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, पायल और अन्य आभूषण शामिल हैं. आयुर्वेद के अनुसार, 16 शृंगार महिलाओं के स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है. मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है, पति और परिवार के साथ प्रेम उतना ही अधिक माना जाता है. करवा चौथ पर लाल, गुलाबी, पीला और सुनहरे रंगों का विशेष महत्व है. ये रंग प्रेम, ऊर्जा और सौभाग्य के प्रतीक हैं. करवा चौथ के दिन काले और सफेद रंगों से बचने की सलाह दी जाती है.
गिफ्ट्स और राशि अनुसार उपहार
पति अपनी पत्नियों को राशि के अनुसार उपहार दे सकते हैं. मेष राशि के लिए लाल रंग की चूड़ियां और सोने के आभूषण, वृषभ राशि के लिए गुलाबी रंग के वस्त्र और सिल्वर ज्वेलरी, मिथुन राशि के लिए हरे रंग की चूड़ियां और पन्ना ज्वेलरी, कर्क राशि के लिए चांदी और मोती के आभूषण, सिंह राशि के लिए सोने और रूबी ज्वेलरी और कन्या राशि के लिए पन्ना और सिल्वर ज्वेलरी उपयुक्त मानी जाती है. आपको मालूम हो कि करवा चौथ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह प्यार, विश्वास और समर्पण का भी पर्व है. इस दिन पति-पत्नी के बीच का रिश्ता और भी गहरा हो जाता है. गिफ्ट्स से ज्यादा मायने रखता है एक-दूसरे का साथ और अपनापन.
पति की लंबी आयु का सीक्रेट फॉर्मूला
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार चंद्रमा शुक्र की राशि में उच्च का हो रहा है. व्रत के दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है. राशियों के अनुसार थाली में विशेष वस्तुएं रखने से व्रत का प्रभाव बढ़ता है, जैसे मेष राशि वालों को गुड़ से बनी मिठाई, सिंह राशि वालों को शहद युक्त खीर और मीन राशि वालों को केसर युक्त खीर का भोग लगाना चाहिए.
करवा चौथ पूजा विधि
1. करवा चौथ पर्व के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी स्नान कर नए वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. इसके बाद करवा चौथ व्रत और चौथ माता की पूजा का संकल्प लें.
3. व्रत का संकल्प लेने के बाद मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये मंत्र का जाप करें.
4. पूजा स्थल पर भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणेश की स्थापना करें.
5. इसके बाद चौथ माता फोटो रखें और पूजा की जगह पर मिट्टी का करवा रखते हुए सभी देवी-देवताओं आह्वान करते हुए पूजा शुरू करें.
6. शाम को करवा में जल लेकर व्रत की करवा चौथ कथा पढ़ें या सुनें.
7. पूजा करते समय मां पार्वती को शृंगार की वस्तुएं अर्पित करें और उन्हें वस्त्र पहनाएं.
8. भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने सुखी और लंबे वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें.
9. चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें.
10. चंद्र देव पूजा की समाप्त होने के बाद आप अपना व्रत तोड़ सकती हैं और अपने पति के हाथों से पानी पी सकती हैं.