Viral Chai Wala At Khatu Shyam Mela
Viral Chai Wala At Khatu Shyam Mela महाकुंभ 2025 खत्म हो गया है. महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चले इस महापर्व में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. इस महापर्व में 66 करोड़ से ज्यादा लोग शामिल हुए.
महाकुंभ को लेकर सीएम ने कहा, अवसर सबको जीवन में प्राप्त होता है. उस अवसर से कुछ लोग बिखर जाते हैं. कुछ लोग बन जाते हैं. महाकुंभ का आयोजन 45 दिनों का था. मेरे लिए ये सौभाग्य का अवसर है. मुझे साधु-संतों और जनता का आशीर्वाद लेने का मौका मिला.
महाकुंभ 2025 के दौरान कई साधु-संत और लोग वायरल हुए. मोनालिसा से लेकर साध्वी हर्षा रिछारिया कई लोग जमकर वायरल हुए है. इसके अलावा कुंभ मेले में एक चाय वाला भी वायरल हुआ. अब ये चायवाला खाटू श्याम मेले में चाय बेच रहा है.
कुंभ के बाद खाटू श्याम मेला
कुंभ में चाय बेचकर वायरल हुए रामबाबू अब खाटू श्याम मेले में चाय बेचने पहुंच गए हैं. हाथों में चाय की बड़ी केतली लेकर घंटों पैदल घूमते हुए वो भक्तों को चाय पिला रहे है. इस दौरान कई भक्त उनके साथ फोटो और सेल्फी भी खिंचवाने में लगे है.
कुंभ जैसी बिक्री खाटू मेले में नहीं है लेकिन फिर भी उनका मानना है कि 4-5 दिन में करीब 30 हजार रुपए कमा कर ही जाएंगे. गुड न्यूज टुडे से खास बातचीत में रामबाबू ने बताया कि वो उत्तर प्रदेश के रहने वाले है जहां वो मजदूरी करते है. कुंभ मेले में जब चाय बेचकर अच्छी कमाई हुई तो उन्होंने खाटू मेले में भी चाय पिलाने का फैसला लिया. ट्रेन पकड़कर खाटू बाबा की शरण में आ गए.
रामबाबू का कहना है कि मेहनत कोई उम्र नहीं देखती है. इस उम्र में भी वो मेहनत करके परिवार चला रहे है. हालांकि उनका मानना है कि कुंभ के बाद खाटू उनका दूसरा मेला है और यदि यहां अच्छी कमाई हुई तो वो आगे भी ऐसे मेलों में चाय पिलाएंगे.
खाटू मेला
खाटू श्याम मेला आस्था का एक बड़ा केन्द्र है. ये लोकप्रिय मेला राजस्था के सीकर जिले के खाटू में हर साल लगता है. इस साल ये खाटू श्याम मेला 28 फरवरी से 10 मार्च तक चलेगा. खाटू श्याम मेले में भक्तों का तांता उमड़ रहा है. लोग बड़ी संख्या में इस मेले को देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
पौराणिक महत्व
खाटू श्याम मेले का पौराणिक महत्व है. खाटू श्यामजी को पहले बर्बरीक के नाम से जाना जाता था. बर्बरीक से खाटूश्यामजी बनने के पीछे एक लोकप्रिय कहानी है. कहा जाता है कि भीम के बेटे घटोत्कच और दैत्य मूर की बेटी मोरवी के बेटे बर्बरीक ने अपनी मां से वादा किया था कि वो महाभारत के युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे.
बर्बरीक ने कौरवों के लिए लड़ने का फैसला किया. भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे तो पांडवों की हार तय है. ऐसे में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान में उसका सिर मांग लिया. उन्होंने तुरंत अपना सिर दान कर दिया. बर्बरीक के इस बलिदान से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे कलयुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएंगे.
विशाल शर्मा की रिपोर्ट जयपुर से.